राम कथा में 7वे दिन जटायु चरित्र, शबरी संवाद श्रीराम-हनुमान जी मिलन, प्रसंगों का हुआ वर्णन

फरीदाबाद : रामा कृष्णा फाउंडेशन, राम मंदिर सेवा समिति, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर 9 के संयुक्त तत्वावधान में परम पूज्य आचार्य कृष्णा स्वामी द्वारा व्याख्यान की जा रही श्री राम कथा में व्याख्यान करते हुए आज जटायु चरित्र, शबरी संवाद और राम हनुमान मिलन का प्रसंग भावुकतापूर्ण, भक्तिरस रस से ओतप्रोत संगीत भजनों सहित किया गया। राम कथा में श्रीराम-हनुमान जी मिलन आदि प्रसंगों का वर्णन किया गया तो पंडाल पूरी तरह भरा हुआ था। पूज्य आचार्य श्री कृष्णा स्वामी वर्णन करते हुए कहा की श्रीराम को देखते ही हनुमान जी उनकी मन:स्थिति समझ गए और सुग्रीव से मित्रता कराई। जहां पर सुग्रीव ने मां सीता की खोज में सहयोग का आश्वासन देते हुए प्रभु श्रीराम से बाली के विरुद्ध युद्ध में सहायता मांगी।बाली वध के बाद सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी लंका पहुंचे।

कथावाचक ने इस दौरान हनुमान जी के विभीषण से संवाद और अशोक वाटिका में मां सीता के साथ संवाद का प्रसंग विस्तार से चौपाइयों सहित सुनाया। इसके बाद हनुमान जी द्वारा लंका दहन करने और मां सीता से निशानी लेकर वापस प्रभु श्रीराम के पास पहुंचने का प्रसंग सुनाया। जटायु एवं शबरी प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान भाव के भूखे होते हैं। भगवान क्रिया की ओर देखते ही नहीं, हमारा भाव ही भगवान तक पहुंचता है।

जटायु ने पक्षी होते हुए जब देखा कि रावण माता सीता का हरण करके ले जा रहा है तो जटायु का भाव था कि मेरे जीते जी दुष्ट रावण सीता को नहीं ले जा सकता। जटायु के मरने पर भगवान ने उसे अपने धाम भेज दिया। शबरी के झूठे बेर खाते हुए भगवान राम ने शबरी के भाव को देखा। मौके पर उद्योगपति अरुण बजाज ने बताया की कथा में आ रही भक्तों की भीड़ ये दर्शाती है कि भारतीय समाज में सनातन धर्म के प्रति एक उल्लेखनीय जागृति का सृजन हुआ है ।

कथा में श्रीमान गंगा शंकर, राम, गोपाल आहूजा, प्रदीप बंसल, नरेंद्र जिंदल, विनोद शर्मा, श्रीमती आदेश मिश्रा, श्रीमती मीता भाटिया, श्रीमती रेखा अदलखा का सानिध्य प्राप्त हुआ। विशिष्ट महानुभावों और दानी सज्जनों में सतीश गर्ग, अश्विनी गर्ग, नरेश गुप्ता, मधु गुप्ता, वरुण गुप्ता, आशुतोष गर्ग, अमर बंसल, राकेश तनेजा जी का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। मंदिर निर्माण समिति के भी कर्मठ कार्यकर्ता जिनमे प्रधान रणवीर चौधरी, सचिव अजय भाटिया, अरुण बजाज, योगेश बंसल, सतबीर शर्मा, आर के केशवानिया, सुभाष भाटिया, अरुण दुआ, अमर नाथ जुनेजा, विनय खंडूजा, आर के सिंगला, आर. पी. महेंदीरत्ता, संजय गोयल, संजीव चिटकारा, श्रीमती रामा कौशिक, श्रीमती सरला गर्ग और सभी आरडबल्यूए सेक्टर-9 के सदस्यों का विशेष योगदान प्राप्त हुआ। मंदिर की महिला समिति से नीतू राजपूत, उषा भाटिया, आशा भाटिया, प्रवेश राजपूत, मंदीप चावला, प्रभा मल्होत्रा, स्मृति राजपूत आदि सभी सहयोग सदैव की भांति सराहनीय रहा।

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