टीपणी लोक नृत्य के कायल हुए दर्शक
37वें सूरजकुंड अन्तर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में सोमवार को छोटी चौपाल पर आयोजित कार्यक्रमों में बांधा समां
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सूरजकुंड (फरीदाबाद) : 37वें सूरजकुंड अन्तर्राष्ट्रीय शिल्प मेला की छोटी चौपाल पर गुजरात प्रांत से आए चोरवाड से आए श्रीशक्ति टीपणी लोक नृत्य मंडल के कलाकारों ने गीत-संगीत के साथ नृत्य की सुंदर प्रस्तुतियां देकर अपने प्रांत की संस्कृति का शानदार प्रदर्शन किया। श्रीशक्ति टीपणी लोक नृत्य मंडल के ग्रुप इंचार्ज प्रवीण भाई ने बताया कि टीपणी रास ही गरबा रास है और डांडिया रास नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां दुर्गा और कुलदेवी शक्ति को याद करके किया जाता है। टीपणी रास गुजरात प्रांत के रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, संस्कृति व सुंदरता का प्रतीक है। टीपणी रास व गरबा रास को उस समय से नगर वासी करते आ रहे हैं जब अपने मकान पर मिट्टी और चूने से छत बनाई जाती थी। उस समय जो टीपणी होती थी वह मजबूत लकड़ी से बनाई जाती थी। जोकि मकानों की छतों को कूट-कूट कर मजबूत करने का कार्य करती है। उसी समय से टीपणी रास की शुरुआत हुई है। इसके अलावा गुजरात के लोग अपनी कुलदेवी-देवताओं को भी गीत गाकर टीपणी रास करके उन्हें प्रसन्न करते हैं।
गुजरात के चोरवाड नगर के टीपणी मंडल सन 1956 में हिंदी फिल्म में होले-होले घुंघट मत खोलो गीत के साथ टीपणी रास की प्रस्तुति दे चुका है। इसके साथ-साथ वे टीपणी डांस फेस्टिवल व वर्ष 2018 में ट्यूनिशिया देश में भी टीपणी रास की प्रस्तुति दे चुके हैं। यह कलाकार प्रदेश ही नहीं अपितु विदेशों में अनेकों बार अपनी कला का सुंदर प्रदर्शन कर चुके हैं। टीपणी रास में 12 लड़कियां चूडासमा प्राची, जिग्ना पंडित, परवीन पंडित, पूनम परमार, कुसुम परमार, रामी चूडासमा, पायल मेर, कुसुम चूडासमा, शांति मेर, दूधी परमार, मंजू डाभी, ज्योति चूडासमा, संगीतकार शहनाई वादक इकबाल परमार, ढोल वादक हामिद परमार व साजिद सोलंकी इत्यादि कलाकारों ने अपनी सुंदर प्रस्तुति से चौपाल पर बैठे सभी पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।