देश की विख्यात सूफी गायिका डा. ममता जोशी ने दर्शकों को डूबोया रामधुन में

कबीर के दोहे...भला हुआ मेरी मटकी फूटी रे, मैं तो पनिया भरन से छूटी रे... से अध्यात्मिक हुआ माहौल

  • मंच पर दिखी एक भारत श्रेष्ठ भारत की झलक

सूरजकुंड (फरीदाबाद) : सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्त-शिल्प मेले में बड़ी चौपाल की सांस्कृतिक संध्या में देश की विख्यात सूफी और लोक गायिका डा. ममता जोशी ने दर्शकों को रामधुन में डूबोया। कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा तथा पर्यटन विभाग हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने विभिन्न प्रदेशों की सांस्कृतिक धाराओं का ऐसा संगम दिखाया कि मंच पर एक भारत श्रेष्ठ भारत की झलक दिखाई दी।

संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार विजेता चंडीगढ़ की सूफी और लोक गायिका डा. ममता जोशी ने एक से बढक़र एक प्रस्तुति दी। होलिया में उड़े रे गुलाल को उन्होंने गुजरात का गरबा टच दिया तो मानो सभी दर्शक रसीले गुजरात की धरती पर पहुंच गए हों और मानो अश्विन मास की नवरात्रों का वो गरबा नृत्योत्सव शुरू हो गया हो। सासु पनिया कैसे लाऊं… को उन्होंने हरियाणावी धुन पर गाकर सबको चकित कर दिया।

इसके बाद उन्होंने फिल्मी गानों के प्रेम रंग से सबको झूमने को मजबूर कर दिया। उन्होंने कबीर के कुछ गहन दोहों को एक साथ पिरोया। भला हुआ मेरी मटकी फूटी रे. मैं तो पनिया भरन से छूटी रे.. सुनाकर दर्शकों को संगीत से आध्यात्मिकता की ओर ले गई।

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