एक्साइज विभाग ने निगम को जमा नहीं करवाया 10 करोड़ से ज्यादा का काऊ सेस

अमृतसर : गलियों और बाजारों में बेसहारा पशु घूमते हुआ देखे जा रहे हैं जो मौजूदा समय में आम लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बने हुए हैं। इन पशुओं के कारण हादसे हो रहे हैं। मगर इन पशुओं के रख-रखाव के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं किए जा रहे। वह भी तब, जब नगर निगम काऊ सेस भी वसूल रहा है। मगर सरकार के एक्साइज विभाग ने पिछले दो सालों के दौरान नगर निगम को सेस जमा ही नहीं करवाया। जिसका नतीजा है कि एक्साइज विभाग की तरफ करीब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का सेस पेंडिग है। अगर यह सेस रेगुलर नगर निगम के पास जमा होना शुरु हो जाए तो शहर में गोशालाएं बनाई जा सकती हैं। जहां पर इन बेसहारा पशुओं का पालन-पोषण कर लोगों की समस्या खत्म की जा सकती हैं।
यह है नियम देश में पंजाब ऐसा पहला राज्य था जिसने काऊ सेस लगाना शुरू किया था। पंजाब के बाद कई अन्य राज्यों ने भी काऊ सेस लगाए थे। यह सेस विभिन्न सरकारी विभागों में लगाए गए हैं। एक्साइज विभाग, जो राज्य के रेवेन्यू का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं। इस पर प्रति लीटर शराब की बिक्री पर पांच रुपये सेस लगाया गया है। अगर अमृतसर जिले की बात करें तो केवल यहीं पर ही रोजाना करीब 28 हजार लीटर शराब की खपत होती है। इस पर हर रोज 1.40 लाख रुपये सेस बनता है। मगर यह सेस पिछले दो सालों से एक्साइज विभाग जमा ही नहीं करवा रहा। कई बार दिए गए रिमाइंडर नगर निगम के मेयर कर्मजीत सिंह रिटू व जिला सेहत अधिकारी डॉ. अजय कंवर ने बताया कि एक्साइज विभाग की ओर से बिल्कुल भी सेस जमा नहीं करवाया जा रहा हैं। इस संबंध में कई बार रिमाइंडर भी दिए जा चुके हैं। लेकिन कोई जवाब नहीं आ रहा। जबकि शराब की सारी बिक्री लगभग कैश में हो रही है और विभाग के पास सारा पैसा भी पहुंच रहा है। बावजूद इसके निगम का बनता सेस जमा नहीं करवाया जा रहा हैं। चेक कर विभाग को लिखकर भेजूंगी : एईटीसी एईटीसी अमनदीप कौर का कहना है कि यहां से सेस लेकर विभाग को भेज दिया जाता है। हेड-आफिस से ही आगे नगर निगम को देना होता है। फिर भी वह एक बार चेक करेंगी कि इतने समय से यह सेस जमा क्यों नहीं हो रहा और विभाग को लिखकर भेजा जाएगा।