चुनाव आते ही मोदी और अमित शाह असली मुद्दों को भूल जाते हैं : कपिल सिब्बल
नयी दिल्ली, 19 अक्टूबर ! कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर हरियाणा एवं महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अनुच्छेद 370 के मुद्दे का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री को जनता के समक्ष यह भी बोलना चाहिए कि उसकी सरकार ने 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे।
पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, ‘चुनाव आते ही मोदी जी और अमित शाह जी असली मुद्दों को भूल जाते हैं और कभी एनआरसी की बात करते हैं तो कभी अनुच्छेद 370 की बात करते हैं। अनुच्छेद 370 से लोगों का पेट तो नहीं भरेगा, लोगों को रोजगार तो नहीं मिलेगा ।’ उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में अनुच्छेद 370 की बात करते हैं। अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला रहा है, लेकिन जनता को उन्हें यह भी बताना चाहिए कि कांग्रेस की सरकार में पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए। मुझे पता है कि वह यह नहीं बोलेंगे क्योंकि उनमें यह कहने की हिम्मत ही नहीं है।’’
अर्थव्यवस्था की स्थिति का उल्लेख करते हुए सिब्बल ने कहा, ‘ आईएमएफ, विश्व बैंक और दूसरी संस्थाएं कह रही हैं कि भारत में मंदी है लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है। पीयूष गोयल कहते हैं कि अभिजीत बनर्जी वाम की ओर झुकाव रखते हैं।’ उन्होंने सवाल किया ‘‘क्या आईएमएफ और विश्व बैंक भी वाम की ओर झुकाव रखते हैं? क्या सुब्रमण्यम स्वामी भी वाम की ओर झुकाव रखते हैं?’’
पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) बैंक मामले का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि बैंक में खाताधारकों को उनका पैसा नहीं मिल रहा है। कुछ लोगों की मौत भी हो गयी। ‘‘हमारा कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में ‘प्राइम मिनिस्टर कमिटमेंट’ (पीएमसी) दिखाएं और यह कहें कि सभी का पैसा वापस मिलेगा।’’ उन्होंने दावा किया कि इस बैंक के 12 निदेशकों का सम्बंध भाजपा से है और यही वजह है कि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही। अगर कोई कांग्रेस का होता तो उसके पास सीबीआई भेज दी गयी होती।
सिब्बल ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र और हरियाणा में बेरोजगारी बढ़ी है और किसानों की हालत पहले से ज्यादा खराब हो गयी है, लेकिन भाजपा इन पर बात करने से बच रही है। उन्होंने कुछ आंकड़े पेश करते हुए यह दावा भी किया कि मानव विकास सूचकांक और रोजगार की दृष्टि से जम्मू-कश्मीर की स्थिति कई भाजपा शासित राज्यों से बेहतर है।