जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में ‘संविधान दिवस’ मनाया गया

फरीदाबाद, 26 नवम्बर ! जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा ‘संविधान दिवस’ के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया तथा भारतीय संविधान निर्माता डॉ भीम राव आम्बेडकर को श्रद्धांजलि दी गई। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1949 में 26 नवम्बर को भारतीय संविधान को स्वीकार किया गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग द्वारा द्वारा विधिवत रूप से भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पण से हुआ। कार्यक्रम का आयोजन डीन विद्यार्थी कल्याण प्रो. नरेश चौहान तथा डिप्टी डीन सोनिया बंसल की देखरेख में किया गया। 

कार्यक्रम का संबोधित करते हुए कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार गर्ग ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ भीमराव आम्बेडकर संविधान-निर्माता के साथ-साथ प्रबुद्ध चिंतक एवं सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत थे। उन्होंने समाज में विद्यमान रूढ़िवादी मान्यताओं एवं विषमताओं के विरूद्ध तथा सामाजिक न्याय एवं कमजोरों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा संविधान होते हुए भी भारतीय संविधान ने देश को स्थायित्व दिया है। संविधान में विधायिका एवं न्यायपालिका में बेहतरीन समाजन्य स्थापित किया है, जो इसकी अनूठी विशेषता है।

कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने अपने संदेश में डॉ आम्बेडकर को एक महान विधिवेता एवं शिक्षाविद् बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान ने देश में अब तक लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखा है, जिसका श्रेय संविधान निर्माताओं को जाता है। उन्होंने कहा कि संविधान के मुख्य शिल्पकार डॉ आम्बेडकर ने अपना समस्त जीवन भारतीय समाज के कल्याण तथा कमजोर वर्गों उत्थान के लिए लगा दिया। युवा पीढ़ी को डॉ आम्बेडकर जैसी महान विभूतियों से सीख लेनी चाहिए। विद्यार्थियों द्वारा भी डॉ आम्बेडकर के जीवन एवं भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर चर्चा भी की तथा सदैव संविधान की अनुपालना की शपथ दिलाई गई।

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