झूठे आंकड़े पेश कर तंग किया जा रहा ईंट भट्टे वालों को
गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 21 नवंबर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एनसीआर के ईंट भट्टे बंद करने का जो आदेश दिया है वो आदेश सही नहीं है क्यों कि वास्तव में इस वक्त कई महीनों से जो प्रदूषण फैला हुआ है वह कूड़ा कर्कट को बड़े भारी स्तर पर जलाने व फैक्ट्रियों के वेस्ट रबड़ व प्लास्टिक को जलाने की वजह से फैला हुआ है! बगैर सच्चाई को जाने एक तथाकथित समाजसेवी बनने वाले व्यक्ति उत्कृष पवांर ने एनजीटी में याचिका लगाई और एनजीटी ने ईंट भट्टा मालिकों का व्यापार चौपट करने का आदेश सुना दिया! याचिका लगाते वक्त व फैसला देते वक्त याचिकाकर्ता व ट्रिब्यूनल दोनों को ही जनहित में सच्चाई को जान कर कार्यवाही करनी चाहिये! याचिका में एनसीआर के ईंट भट्टों की संख्या का आंकड़ा 7000 जो बताया गया वो सरासर झूठा आंकड़ा है क्यों कि ईंट भट्टों का काम धंधा तो पिछले 1 से 15 वर्षों से काफी मंदा चल रहा है और भवन निर्माण सामग्री में अब ईंटों की जगह कंक्रीट के कई उत्पाद लगने शुरू हो चुके हैं! पिछले दस वर्षों में हरियाणा व एनसीआर में काफी संख्या में भट्टे बंद हो चुके हैं और उन के मालिक दूसरे काम कर रहे हैं!
फरीदाबाद के एक पुराने ईंट भट्टे के मालिक दीपक गुप्ता से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि एनसीआर में हरियाणा के 16 जिले व उत्तरप्रदेश के 9 जिले आते हैं व दिल्ली भी साथ में है! उनके मुताबिक इस सारे इलाके में वर्तमान में चालु हालात में भट्टे बहुत कम है! उन्होंने खुद भी सरकारी बाधाओं व आर्थिक मंदी के कारण भट्टे का काम छोड़ दिया! उनका कहना है कि आज वर्तमान में जो प्रदूषण फैला हुआ है वह अन्य कारणों से ज्यादा है! ईंट भट्टों की वजह से नहीं है! अधिकांश ईंट भट्टे तो पहले ही जिग जैग तकनीक में लोगों के द्वारा बदले जा चुके हैं! उनका कहना है कि इस वक्त तो वैसे भी ईंट भट्टों पर भराई का काम चलता है और भराई में धूल व प्रदूषण फैलने का कोई खतरा नहीं होता तो ऐसे वक्त ईंट भट्टा मालिकों को केवल प्रदूषण के नाम पर तंग ना किया जाये!
दूसरी ओर जब हिसार व उकलाना के व्यापारी वर्ग से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने भी यही कहा कि पहली बात तो आजकल ईंट भट्टे ही ज्यादा संख्या में नहीं है तो ईंट भट्टों की वजह से प्रदूषण कहां से होगा दूसरी बात ये है कि इस वक्त ईंट भराई का काम चल रहा है जिस से प्रदूषण नहीं फैलता! उन्होंने बताया कि इस वक्त प्रदूषण के नाम पर कई सालों से बंद पड़े भट्टों की भीद्ब सीलबंदी करके झूठे आंकड़े पेश किये जा रहे है! जो भट्टे जिग जैग प्रणाली के हो चुके हैं उन्हें भी सीलबंदी करके एनजीटी में केवल रिपोर्ट दिखाने के मकसद से ईंट भट्टा मालिकों को तंग किया जा रहा है! हिसार के व्यापारी राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि एनजीटी में झूठे आंकड़े दिए गये हैं! ईंट भट्टों की संख्या तो इस वक्त काफी कम जो कि एनजीटी में झूठे तौर पर बहुत ज्यादा दिखाई गई है!
भवन निर्माण कामगार यूनियन के गुरुग्राम जिला अध्यक्ष धर्मवीर सैनी ने बताया कि प्रदूषण के नाम पर ईंट भट्टे बंद करवाना मजदूरों व ईंट भट्टा मालिकों के साथ सरासर जुल्म है! ईंट भट्टों के काम के साथ हजारों मजदूरों का पेट पलता है और हजारों मजदूरों के पेट पर लात मार कर उनके साथ बड़ा भारी धोखा किया जा रहा है! एनजीटी में ईंट भट्टों की संख्या के बारे में झूठे आंकड़े दिखा कर प्रदूषण के नाम पर भट्टे बंद करवाने का आदेश पारित करवाना बहुत गलत है! प्रदूषण के नाम पर पुन्हाना कस्बे के कई भट्टों पर छापामारी करके उन्हें बंद करवाया गया जब कि अब यह साबित हो चूका है कि एनसीआर में प्रदूषण केवल कूड़ा कर्कट व फैक्ट्रियों के वेस्ट रबड़ व प्लास्टिक को जलाने से फैला हुआ है! पराली व ईंट भट्टों की वजह से प्रदूषण नहीं है!