मन में जो बात थी वो जुबां से निकल ही गई
गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 28 नवंबर। देश दुनिया को मन की बात सुनाने वाले के मन में यदि किसी शिक्षा के मंदिर को साजिशन बंद करने व नाम बदलने की इच्छा हो तो किसी दूसरे साथी के माध्यम से बात निकल ही आती है! यह साजिश अब उजागर हो चुकी है! रिसर्च पर आधारित शिक्षा देने वाले विश्वविद्यालय जेएनयू के खिलाफ यह साजिश की जा रही है! भारत के जरूरत से ज्यादा कट्टरपंथी व तानाशाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जेएनयू के खिलाफ मन के मंसूबे पूरे नहीं हुए तो उन्होंने अपने राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को जेएनयू के खिलाफ जहर उगलने के लिए लगा दिया! पिछले पांच वर्षों में तानाशाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व आरएसएस के नेताओं ने कई बार जेएनयू पर देशद्रोही गतिविधियों के आरोप लगाए व जेएनयू में पढऩे वाले छात्रों पर राष्ट्रद्रोह के गंभीर आरोप लगाते हुए उन पर झूठे मुकदमें दर्ज करवाएं गए और जेएनयू व वहां पर पढऩे वाले छात्रों को पूरे देश में बदनाम करने की गहरी साजिश रची गई! परंतु जेएनयू के प्रोफेसरों व छात्रों का हौसला बुलंद रहा और जेएनयू में भिन्न भिन्न विषयों में रिसर्च करते हुए छात्र बड़ी लगनता व मेहनत से पढ़ाई कर रहे हैं!
अभी हाल ही में कुछ दिन पहले मोदी सरकार ने साजिश रचते हुए जेएनयू के छात्रों की फीस व अन्य प्रकार के सभी शुल्कों की दरें बड़ी भारी मात्रा में बढ़ा दी ताकि छात्र जेएनयू में पढऩा बंद कर दें और मोदी सरकार को जेएनयू को बंद करने का बहाना मिल जाये! छात्रों ने इसका डट कर मुकाबला किया! छात्रों पर लाठीचार्ज करवाया गया व कुछ दिव्यांग छात्रों को भी पुलिस के द्वारा पीटा गया! मोदी सरकार के द्वारा की गई इन घटिया हरकतों के बावजूद जब छात्रों को पूरे देश समर्थन मिलने लगा तो घबरा कर तानाशाह मोदी ने भाजपा के राज्यसभा सांसद को इस काम के लिए नियुक्त किया! प्रधानमंत्री मोदी के इशारे पर सुब्रमण्यम स्वामी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जेएनयू को दो साल के लिए बंद कर देना चाहिए और जेएनयू का नाम बदल कर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर दिया जाये! जेएनयू के खिलाफ व देश के सभी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के खिलाफ यह एक बहुत गहरी साजिश है! देश के असली राष्ट्रभक्त लोगों में सुब्रमण्यम स्वामी के इस बयान के खिलाफ बड़ा भारी आक्रोश है!
इस खबर के लेखक स्वयं एक स्वतंत्रता सेनानी पिता के पुत्र हैं और उनके पिता देश की आजादी के लिए नेता जी सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थे! नरेंद्र मोदी सरकार की इस घटिया व ओछी सोच का पूरा देश भारी विरोध करेगा क्यों कि तानाशाह मोदी अब स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों व जेएनयू के छात्रों के बीच दो फाड़ करा कर ख़ूनी संघर्ष करवाना चाहते हैं जब कि वहां पर पढऩे वाले छात्र तो आज भी बड़ी शांति से पढ़ाई कर रहे हैं! इस खबर के लेखक पत्रकार मदन लाहौरिया स्वयं जेएनयू में तीन दिन तक लगातार जाकर पानी व सीवरेज समस्या पर आयोजित वहां पर एक सेमिनार में शामिल हुए हैं और अपनी आँखों से वहां का माहौल बेहतरीन देखा है! भाजपा के कुछ लोग साजिश के तहत जेएनयू का नाम बदनाम करने के लिए सोशल मिडिया पर गलत प्रचार कर रहे हैं! जेएनयू में आयोजित इस सेमिनार में टिकाऊ विकास के बारे में देश के कोने कोने से आये हुए सलाहकारों के द्वारा विचार विमर्श किया गया! अब सवाल यह उठता है कि जिस विश्वविद्यालय में निरंतर देश के विकास के बारे में छात्र रिसर्च कर के विकास करवाने में सहायक बनते हो तो फिर वह विश्वविद्यालय या वहां पर पढऩे वाले छात्र देशद्रोही कैसे हो सकते हैं!
इस बारे में जब किसान नेता चंद्रभान काजला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि हरियाणा के काफी परिवारों के बच्चे जेएनयू में पढ़ते हैं और उनके परिवार वाले हमेशा जेएनयू में मिलने जाते हैं परंतु जेएनयू में ऐसा कोई गलत माहौल नहीं देखा गया! हरियाणा के जेएनयू में पढऩे वाले बच्चों के परिवार वालों का कहना है कि जेएनयू के खिलाफ केवल भाजपा व आरएसएस की गहरी साजिश है! जेएनयू में बच्चे देश के विकास के लिए रिसर्च करते है! जेएनयू के खिलाफ नरेंद्र मोदी के मन की यह बात सुब्रमण्यम की जुबां से निकल गई!