सरकारी स्कूलों के अधिकांश कमरे कंडम व जर्जर : कैलाश शर्मा
फरीदाबाद 21 सितम्बर। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (आईपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल व हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने ‘सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान’ को जारी रखते हुए शनिवार को इंदिरा कॉलोनी स्थित प्राइमरी व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की बिल्डिंग व स्कूल के कमरे तथा उपलब्ध जरूरी संसाधनों का निरीक्षण किया। जांच के बाद पता चला कि यह स्कूल गंदे नाले को पाट कर उस पर बना हुआ है और स्कूल की छत के ऊपर हाई वोल्टेज बिजली की तारें जा रही है, ऐसी खतरनाक स्थिति में छोटे-छोटे कमरों में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। स्कूल के अध्यापक व बच्चों ने बताया कि स्कूल की बिल्डिंग काफी जर्जर है। कमरों का साइज बहुत छोटा है, बरामदा है ही नहीं, इसके अलावा सुबह की प्रार्थना व खेलने के लिए कोई खुला मैदान भी नहीं है। इस वजह से बच्चों को पढऩे में और उन्हें पढ़ाने में काफी परेशानी होती है। सबसे बड़ी मजेदार बात यह है कि शिक्षा नियमावली के मानकों के अनुसार यह स्कूल मिडिल स्कूल की शर्तों को भी पूरा नहीं करता है जबकि इसे वरिष्ठ माध्यमिक यानी बारहवीं तक बना दिया गया है।
स्कूल अध्यापकों का कहना है कि वे पूरी मेहनत और लगन से इस स्कूल को आदर्श स्कूल बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कमरों व संसाधनों की कमी के कारण वे अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहे हैं। श्री अग्रवाल ने कहा है कि वह फरीदाबाद के 8 सरकारी स्कूलों की कंडम बिल्ंिडग व जर्जर हो चुके कमरों व संसाधनों की कमी के बारे में पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में अक्टूबर में जो जनहित याचिका दायर करेंगे उसमें इस इंदिरा कॉलोनी स्कूल को भी शामिल किया जाएगा।
आईपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कैलाश शर्मा ने बताया कि श्री अग्रवाल ने 2 व 9 सितंबर को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सरकारी स्कूल अनंगपुर, मोहना, तिगांव, दयालपुर फरीदपुर, प्रेस कॉलोनी, बडख़ल गांव, गोछी के कंडम व जर्जर हो चुके स्कूली कमरों की हालत तथा इनमें सभी जरूरी संसाधनों की कमी के बारे में उचित कार्रवाई करने व पत्र को जनहित याचिका मानने का आग्रह किया था। उन्होंने पत्र में बताया था कि इन स्कूलों में अधिकांश कमरे कंडम व जर्जर हो चुके हैं जिनमें 5843 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता। इन स्कूलों में सभी जरूरी संसाधनों पीने का पानी, साफ व स्वच्छ टॉयलेट, साइंस लैब, खेल का मैदान, पंखे, ब्लैक बोर्ड आदि की भी कमी है जिसके चलते ही इस शिक्षा सत्र में भी छात्रों की संख्या बहुत कम हो गई है और अगर यही हालत रही तो धीरे धीरे कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ाएगा। सरकार पहले ही सैकड़ों स्कूलों को बंद कर चुकी है और कई स्कूलों में साइंस की पढ़ाई बंद कर दी है। अशोक अग्रवाल के पत्र पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने 17 सितंबर को अशोक अग्रवाल पत्र लिखकर कहा है कि वह इस विषय पर एक रेगुलर जनहित याचिका दायर करें। कैलाश शर्मा ने कहा है कि सभी स्कूलों की स्थिति के बारे में अक्टूबर में एक विस्तृत जनहित याचिका दायर कर दी जाएगी।