अब हो अपनी राजधानी अपना हाईकोर्ट

फरीदाबाद : वीर योद्धाओं व राजा नाहर सिंह की रियासत की धरा फरीदाबाद का इतिहास बताता है। यहां से उठी क्रांति की मुहिम को कामयाबी पर पहुंचाती है। हरियाणा प्रदेश की अपनी जमीन पर अपनी राजधानी और अलग हाईकोर्ट बनाने की मांग का अभियान लघुसचिवालय, एचएसवीपी ग्राउंड, जवाहर कालोनी, डबुआ कालोनी तथा जिला नागरिक अस्पताल मीडिया हाउस में आयोजित बैठक में शामिल नागरिकों ने एक स्वर में मांग का समर्थन करते हुए अपने हक और अधिकार को लेने की हुंकार भरी। आयोजित कार्यक्रमों में विद्वान वक्ता मा. अमीचन्द, रघु वत्स, बीरेंद्र कुमार, सुंदर सिंह, कुलदीप कौशिक, ओमपाल सिंह, मनोज कुमार, राजेश शर्मा, सुनील कुमार, देवेन्द्र कुमार ने कहा कि अलग राजधानी, अलग हाईकोर्ट की मुहिम जन-जन तक पहुंच चुकी है। अब प्रदेश के लोग इसके लिए उठ खड़े हुए हैं। अपना स्वाभिमान, अपना हक अलग राजधानी अलग हाईकोर्ट हासिल कर ही दम लेंगे। यह मुहिम हरियाणा प्रदेश अलग होने के बाद पहली मुहिम है।

हरियाणा देश एकमात्र राज्य है जिसकी पहचान खेल, शिक्षा, खेती और अपनी भाषा व परिधान के रूप में अर्जित हुई है, लेकिन अपनी जमीं पर स्वतंत्र अपनी राजधानी व अलग हाईकोर्ट नहीं होने की वजह से हमारी पहचान विश्व के मानचित्र पर दर्ज नहीं हुई है। अलग प्रदेश बनने के 57 वर्ष बाद भी यह गौरव हासिल नहीं हो सका है। यह दंश हरियाणा के लोगों के हितों पर न केवल भारी पड़ रहा है बल्कि हमारे अधिकारों को कचोटता है। जिसका हमें न्याय में विलम्बता, समय की बर्बादी व आर्थिक नुकसान के कारण वास्तविक पहचान नहीं मिल पा रही है। हरियाणा प्रदेश के लोगों के मूल हितों के अधिकारों के लिए अपनी जमीन पर अलग राजधानी और हाईकोर्ट बनना ही चाहिए, ताकि प्रदेश की अपनी पहचान बन सके। इस दंश को मिटाने के लिए जन सहयोग बन रहा है। प्रदेश के लोग संयुक्त राजधानी व हाईकोर्ट होने से नुकसान उठा रहे हैं। अपनी अलग राजधानी, अलग हाईकोर्ट अभियान की संयोजक बिमला चौधरी ने उपस्थित लोगों के समक्ष अपने विचार व्यक्त कर कार्यक्रम में मौजूद प्रबुद्ध नागरिकों ने एक स्वर में अभियान का समर्थन किया और विश्वासन दिलाया की जरूरत पड़ने पर वह किसी भी आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे।

चौधरी ने बताया कि यह अभियान प्रदेश के 22 जिलों में 103वां कार्यक्रम आयोजित हुआ हैं। अभियान को मिले समर्थन से अब हरियाणा के लोग अलग राजधानी, अलग हाईकोर्ट अपनी धरती पर बनकर ही रहेगा। हरियाणा प्रदेश की अपनी अलग राजधानी व हाईकोर्ट की मुहीम पिछले एक वर्ष से चली हुई है और इस मुहिम को प्रदेशभर के बार एसोसिएशन, सामाजिक संगठन, किसान, मजदूर संगठन, कर्मचारी व व्यापारी संगठनों ने खुलकर समर्थन दिया है। यह अभियान प्रतिदिन जोर पकड़ रहा है। संयुक्त पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ को केंद्रशासित घोषित कर दोनों राज्यों की सांझी राजधानी बना दिया गया। हरियाणा को अलग होने के बावजूद भी आज तक पहचान नहीं मिल पाई है। विडंबना इस बात की भी है कि रेलवे स्टेशन पंचकूला बनाया गया है और पूरी दुनिया के नक्शे पर इसे चंडीगढ़ का रेलवे स्टेशन कहा जाता है। इसी तरह एयरपोर्ट के लिए हरियाणा का योगदान भी है, लेकिन इसे मोहाली का एयरपोर्ट कहा जाता है। मांग करते हुए कहा कि हरियाणा का अलग हाईकोर्ट नहीं होने के कारण हरियाणा के जजों को टाइम पर प्रमोशन भी नहीं मिल पाती। अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट हरियाणा प्रदेश की जनता का हक है और यह हक मिलना चाहिए। प्रदेश की राजधानी चाहे सरकार जहां भी बनाए वह उनकी शान होगी। अलग हाई कोर्ट बनेगा तो लोगों को समय पर न्याय मिलेगा। हरियाणा की 1966 में सदियों बाद हरियाणा क्षेत्र को पूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में मान्यता मिली। इसी समय हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ, परन्तु हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक चिंतकों ने दूरदृष्टि का परिचय देते हुए अपनी अलग राजधानी और उच्च न्यायालय बनाकर अपने प्रदेश की अलग पहचान प्रदान कर ली।

उन्होंने आगे कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों ने एक स्वर में मजबूती से हरियाणा की नई राजधानी, हाईकोर्ट की जोरदार मांग उठाई गई, लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि अलग राजधानी और अलग हाईकोर्ट के बिना पर पूर्ण स्वायत्त राज्य का दर्जा अब तक नहीं मिल सका है। हरियाणा के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर करने के लिए समाज के अन्य वर्गों से भी शामिल किया जा रहा है। प्रदेश के जिला, सब डिवीजन, तहसील तथा ब्लॉक स्तर पर संगठन व बुद्धिजीवी लोगों ने इस अभियान का अहम हिस्सा बन रहे हैं। आगे कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का हक नहीं छोड़ा जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि इस मुद्दे को प्रमुखता से उठते और केंद्र व प्रदेश सरकार पर दबाव बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों को साथ लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि रिकार्ड के अनुसार हरियाणा के 14 लाख से अधिक मामले हरियाणा के विभिन्न जिलों में सेशनकोर्ट अधिनिष्ठ न्यायालयों के समक्ष लंबित है और जबकि करीब 62 लाख से अधिक मामले उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। यही नहीं लाखों मामले अन्य न्यायाधिकरणों और प्राधिकरण के समक्ष लंबित है। उन्होंने कहा कि कोर्ट केसों के त्वरित निर्णय के लिए हरियाणा और पंजाब दोनों राज्यों को अलग उच्च न्यायालय की आवश्यकता है। कार्यक्रम के वक्ताओं ने कहा कि किसी भी प्रदेश की पहले पहचान उसकी राजधानी होता है लेकिन हरियाणा प्रदेश को यह सौभाग्य अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। इस अवसर पर फरीदाबाद के मीडिया हाउस के मिले समर्थन से मुहिम को मजबूती मिली है और हौसले के साथ कहा कि अब यह है और अधिकार लेकर ही दम लेंगे। कार्यक्रम के विभिन्न सामाजिक, युवा व किसान संगठनों के पदाधिकारी व सदस्यों ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

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