जीएसटी की जटिलता को सरल किया जाए
गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 20 नवंबर। जीएसटी लागू होने से पहले अंतर्राजीय व्यापार करने पर सी- फार्म के इस्तेमाल करने का प्रावधान था! एक राज्य से दूसरे राज्य में माल खरीदने पर सी फार्म के साथ व्यापारी को दो प्रतिशत टैक्स देना होता था और यदि सी फार्म नहीं दिया जाता तो खरीदने वाला व्यापारी बेचने वाले को उतना टैक्स देता था जितना बेचने वाला व्यापारी आगे से माल खरीद कर लाने में देता था! सेल टैक्स बचाने के चक्कर में उस वक्त व्यापारी अलग-अलग प्रदेशों में फर्जी फ़र्में खोल लेते थे! उस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ही जीएसटी लागू किया गया परंतु जीएसटी जब बनाया गया तो इस टैक्स का ढांचा इतना जटिल बना दिया गया कि व्यापारी वर्ग इस जटिलता से डरते हुए फिर से चोरी के रास्ते ढूंढने लगा! सरकार की कमी की वजह से व्यापारी वर्ग के साथ साथ जनता को भी जीएसटी की जटिलताओं से परेशानी उठानी पड़ी!
इस विषय में नवीन गुप्ता सरंक्षक डिस्ट्रिक टेक्सेशन बार एसोसिएशन, गुरुग्राम से जब बात की गई तो उन्होंने विस्तार में बताते हुए कहा कि टैक्स चोरी करने के लिए फर्जी फ़र्में बनाने के मामले में तो सीधे सीधे व्यापारी ही दोषी नजर आता है क्यों कि फर्जी पत्ता व फर्जी मोबाईल नंबर सेल टैक्स विभाग में व्यापारी खुद देता है! अधिकारी तो उस पते व संपर्क नंबर की केवल कागजों पर आधारित तसल्ली करते हैं! नवीन गुप्ता ने बताया कि फर्जी फर्म बनाने वाला व्यापारी टैक्स विभाग से नंबर मिलने के एक महीने बाद अपना पत्ता और मोबाईल नंबर बदल कर दूसरी जगह से बिलिंग शुरू कर देता है और टैक्स की चोरी करने लगता है! इस मामले में अधिकारीयों का दोष कम और व्यापारियों का दोष ज्यादा हो सकता है! जीएसटी की जटिलता पर नवीन गुप्ता एडवोकेट ने बताते हुए कहा कि इस में कोई शक नहीं है कि जीएसटी की जटिलता से व्यापारी वर्ग परेशान है! एक तो सब से बड़ी परेशानी यह है कि जीएसटी में बार बार बदलाव किये गये! अब तक लगभग 850 के करीब बार जीएसटी में बदलाव हुआ है! व्यापारी जब एक निश्चित टैक्स स्लैब के अनुसार व्यापार करता है तो इतने में ही दूसरा टैक्स स्लैब लागू कर दिया जाता है! यह बार बार बदलाव व्यापारी के लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं! नवीन गुप्ता ने आगे बताया कि इन सब परेशानियों का समाधान निकालने के लिए जीएसटी के बारे में विस्तार से ज्ञान देने के लिए सरकार को सेमिनार व वर्कशाप आयोजित करनी चाहिए जिस से व्यापारियों को जीएसटी के बारे में पूरा ज्ञान मिल सके और जीएसटी को सरलता से समझा जा सके!
दूसरी तरफ जब संजय गोयल सीए से जीएसटी के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब जीएसटी एक्ट बनाया गया तो उस में 17 प्रकार के अप्रत्यक्ष कर मिलाये गए थे! इन अप्रत्यक्ष करों की अपनी अपनी समस्याएं थी जो अब सारी समस्याएं इस जीएसटी में शामिल हो गई हैं! इस कारण जीएसटी में जटिलताएं तो काफी है! संजय गोयल ने आगे बताया कि जीएसटी टैक्स चोरी रोकने के लिए ही बनाया गया था परंतु इसे सही ढंग से लागू नहीं किया गया! जीएसटी को यदि थोड़ा सरल कर दिया जाये तो व्यापारियों की परेशानी खत्म हो सकती है!