दिव्यांग सेवा सर्वोत्तम सेवा : बीरबल अग्रवाल
गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 4 दिसंबर। अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का उद्देश्य शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩा है! आज आवश्यकता शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों को मानसिक रूप से सहारा प्रदान करने की है! ऊर्जा तो उन में कूट-कूट कर भरी होती है! केवल उस ऊर्जा को मानसिक सहारा देकर दिव्यांग लोगों को जीने की राह दिखानी होगी! भारत की बहुत सी ऐसी विकलांग हस्तियों के उदाहरण है जिन्होंने शारीरिक रूप से अक्षम होते हुए भी अपने अपने क्षेत्रों में ऊंचाइयों पर पहुंच कर नाम कमाया है! हमारे पूर्वज ऋषि अष्टावक्र व भक्त सूरदास इस बात के उदाहरण हैं! गुरुग्राम के पास मेवात जिले में बहुत से ऐसे दिव्यांग व्यक्ति हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए आत्मनिर्भर बनने का कारनामा कर दिखाया! नगीना के गावं खुड़ीखुर्द के नाहर खान ने अपने दोनों हाथ कंधे से कटे होने के कारण अपने पैर की अंगुली से लिख कर दसवीं कक्षा पास की है! नगीना के ही गावं करहेड़ा के अब्दुर्रहमान पैरों से सौ फीसदी दिव्यांग है और उसके पास परिवार के पालन पोषण के लिए कोई सहारा नहीं था लेकिन परिवार के सहयोग के कारण वह आज नगीना कस्बा में मिठाई और फल की दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं! उत्तरप्रदेश के चित्रकूट के रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविधालय में हिंदी प्रवक्ता पद पर कार्यरत 38 वर्षीय पियूष कुमार द्विवेदी ने सेरेब्रल पॉलसी (मस्तिष्क पक्षाघात) से पीडि़त होने के बावजूद भी व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे चार किताबें लिख दी! दिव्यांग व्यक्ति का शरीर तो कमजोर हो सकता है परंतु मन कमजोर नहीं होता! मन, बुद्धि, मेघा और आत्मबल प्रबल हो तो हर कमजोरी को हराया जा सकता है!
इस खबर के लेखक मदन लाहौरिया पत्रकार के साथ-साथ एक मैडिकल एस्ट्रोलॉजर भी है और इन्होंने लगभग बीस की संख्या में विकलांग बच्चों पर शोध कार्य कर के यह पाया कि विकलांग बच्चों के केस में ग्रह सितारों की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है! पिछले 16 वर्षों में मैडिकल एस्ट्रोलॉजी के माध्यम से काफी विकलांग भाइयों की मदद की है!
फरीदाबाद के कर्मठ समाजसेवी व व्यापारी बीरबल अग्रवाल का कहना है कि दिव्यांग सेवा ही सर्वोत्तम सेवा है क्यों कि वे नेत्र रोग से सौ फीसदी पीडि़त अपनी दिव्यांग बेटी पल्ल्वी अग्रवाल की पिछले लगभग बीस वर्षों से तन मन और धन से बड़ी भारी सेवा कर रहे हैं! पल्ल्वी अग्रवाल इस वक्त लगभग 28 वर्ष की उम्र की है! नेत्र रोग से पूर्णतया दिव्यांग होने के बावजूद पल्ल्वी मंत्र विज्ञान, भजन, संगीत, गीता और रामायण की चौपाइयों को याद करने और उनको गाकर सुनाने में अपना समय ख़ुशी-ख़ुशी बिताती है! पल्ल्वी अग्रवाल के पिता बीरबल अग्रवाल जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि पल्ल्वी को बचपन से ही धार्मिक कथा कहानियों में बड़ी रूचि रही है और वह सारा दिन परिवार के सदस्यों को तरह-तरह की धार्मिक बातें बताती रहती है! विशेष तौर पर पल्ल्वी अपनी दादी से ज्यादा धार्मिक वार्तालाप करती है! बीरबल अग्रवाल ने बताया कि पल्ल्वी को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत रखने के लिए खाने में हरी सब्जियों के अलावा फल फ्रूट भी खाने को दिया जाता है व मानसिक ख़ुशी के लिए पुराने गाने व भजन संगीत के साथ सुनाये जाते हैं ताकि पल्ल्वी अग्रवाल हर प्रकार से खुश रहे! इसी प्रकार के कुछ ओर मामले भी लेखक मदन लाहौरिया के संपर्क में है!
गुरुग्राम की कर्मठ समाजसेविका रुचिका सेठी की बेटी मानवी भी मस्तिष्क रोग से पीडि़त होकर दिव्यांग है! रुचिका सेठी भी अपनी बेटी के मजबूत भविष्य के लिए संघर्षरत है! एक दिव्यांग मामला फरीदाबाद के सरकारी अस्पताल के डिप्टी सीएमओ रह चुके डॉक्टर अनूप कुमार के बेटे का भी रहा है! डॉक्टर अनूप कुमार ने भी अपने बेटे के लिए बहुत संघर्ष किया है! इस विषय में फरीदाबाद के डॉक्टर पी.एन.दुबे.से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि विकलांगता कुछ केस मस्तिष्क का दौरा पडऩे से या पक्षाघात की वजह से होते हैं! कुछ मामले जन्म के समय के ही होते हैं व कुछ चोट लगने या दुर्घटना होने के कारण विकलांगता में परिवर्तित हो जाते हैं! डॉक्टर दुबे का कहना है कि जब मस्तिष्क का कोई भाग डैमेज हो जाये तो शरीर का कोई भी अंग प्रभावित होकर विकलांगता का रूप धारण कर लेता है! उन्होंने आगे बताया कि विकलांग व्यक्ति के मन को खुश रखने के लिए पुराने गाने व भजन संगीत सुनाया जाये क्यों कि संगीत का सीधा संबंध दिमाग से है! संगीत सुनने से डैमेज हुआ मस्तिष्क भी ठीक हो सकता है!
दूसरी तरफ अगर हम विकलांगों के अधिकार की बात करें तो हरियाणा के विकलांग अधिकार मंच के अध्यक्ष ऋषिकेश राजली ने बताया कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के नियमों के अनुसार हरियाणा सरकार अभी विकलांगों की कोई भी मदद नहीं कर रही! उन्होंने बताया कि हमारी विकलांगों के हितों की रक्षा के लिए कई जायज मांगे है परंतु प्रदेश सरकार जानबूझ कर सभी विकलांग भाइयों के साथ धोखा कर रही है! उन्होंने बताया कि दिल्ली में मंडी हाउस पर पिछले कई दिनों से विकलांग भाई सरकारी नौकरियों में स्थान देने के लिए लगातार धरना दे रहे हैं और कुछ विकलांग भाई भूखहड़ताल भी करे बैठे हैं और उनमें से कइयों की हालात बिगड़ गई परंतु सरकार आँख मूंदे बैठी है!,जब कि सदियों से रीत है कि दिव्यांग व्यक्ति की सेवा करना ही सर्वोत्तम सेवा है!