शहीद भगत सिंह की 113वीं जयंती पर हवन यज्ञ किया गया

फरीदाबाद, 28 सितम्बर। गुरु सेवक संघ एवं राष्ट्रीय पंचनंद सेना द्वारा शनिवार को शहीद भगत सिंह के 113वीं जयंती पर एनआईटी स्थित गोल चक्कर पर स्थापित भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण व हवन यज्ञ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार जोधसिंह वालिया ने की। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्य रूप से विधायक सीमा त्रिखा, पार्षद जसवंत सिंह, विष्णु सूद, चुन्नीलाल चोपड़ा, जगजीत कौर पन्नू, रश्मि चड्ढा, आशारानी अरोड़ा, सतीश ठक्कर, टेकचंद उर्फ टोनी पहलवान, कुलदीप सिंह साहनी, नवीन गौड़, तेजिंदर सिंह चड्डा, सर्वजीत सिंह चौहान, अरुण वालिया, प्रदुमन अदलखा, महेश कथूरिया, मन्नू सिंह, सुनील कुमार, ईश दूरेजा, दीपक वाधवा, सरजू अहूजा, सुरजीत नागर, किशन नद्राजोग, प्रेम दीवान, रमन जेटली एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

इस मौके पर विधायक सीमा त्रिखा ने कहा कि शहीदों की शहादत के कारण आज हम आजाद देश में सांस ले रहे हैं। हमें शहीदों की कुर्बानियों को भूलना नहीं चाहिए। आज भगत सिंह जैसी देशभक्ति का जज्बा हमारे अंदर होना चाहिए तभी देश का विकास संभव है। उन्होंने कहा कि भगत सिंह का परिवार देश को आजाद कराने की गतिविधियों में सक्रिय था। बचपन से ही उनके मन में देशभक्ति की भावना भरी हुई थी। वे भी छोटी आयु से ही देश को आजाद कराने में सक्रिय हो गए। हमें देश के प्राणों का बलिदान देने वाले महान क्रांतिकारियों को कभी नहीं भुलाना चाहिए। इस अवसर पर विष्णु सूद, चुन्नीलाल चोपड़ा, टोनी पहलवान एवं कुलदीप सिंह साहनी ने संयुक्त रूप से बताया संगठन जिसका मुख्य उद्देश्य शहीदों का सम्मान करना व शहीदों को नमन करना है।

उन्होंने कहा कि हम लोग आज आजादी की सांस ले रहे हैं वह इन वीरों की देन है। उन्होंने कहा कि इनकी जयंती के दिन हम संकल्प लेते हैं कि संगठन को मजबूत और बड़ा कर एक-एक कण को जोडक़र सुंदर व दिव्य समाज की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिस प्रतिबद्धता से संगठन का गठन हुआ है इसमें फरीदाबाद के तमाम नौजवान साथियों को जोड़ कर इस प्रतिबद्धता को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह का नाम अमर शहीदों में प्रमुख रूप से लिया जाता है यह एक सिख परिवार से थे और आर्य समाज के विचार को अपना लिया इनके परिवार पर आर्य समाज युवा महर्षि दयानंद की विचारधारा का गहरा प्रभाव था। उन्होंने बताया कि भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता सरदार किशन सिंह एवं उनके दोनों चाचा अजीत सिंह व स्वर्ण सिंह अंग्रेजों के खिलाफ होने के कारण जेल में बंद थे। जिस दिन भगत सिंह पैदा हुए उनके पिता एवं चाचा को जेल से रिहा किया गया। इस शुभ घड़ी के अवसर पर घर में खुशी का माहौल था और उनके जन्मदिवस पर हम सभी उन्हें शत-शत नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि भगत सिंह देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमे कि पूरा जीवन कि देश को समर्पित कर दिया।

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