मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने जागरूकता और आशा बढ़ाई : विश्व अल्जाइमर दिवस 2024 मनाया
· विश्व अल्जाइमर दिवस का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जो भूल जाते हैं, लेकिन उन्हें कभी नहीं भुलाया जाता
· उज्ज्वल कल के लिए आज ज्ञान और करुणा के साथ अल्जाइमर से लड़ना है
फरीदाबाद (मनीष शर्मा) : मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ‘विश्व अल्जाइमर दिवस’ मना रहा है जो इस वर्ष 21 सितंबर को मनाया जाएगा। चूंकि दुनिया विश्व अल्जाइमर दिवस मना रही है, इसलिए डिमेंशिया के सबसे सामान्य रूप-अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। इस वर्ष, थीम, “डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें”, रोग से प्रभावित लोगों के लिए समय पर डायग्नोसिस (निदान), कदम उठाने और देखभाल की बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डालती है। हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी विभाग का नेतृत्व न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. कुणाल बहरानी करते हैं।
विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर, पूरे विशेष में कम्युनिटीज और हेल्थकेयर संगठन अल्जाइमर रोग पर प्रकाश डालने के लिए एक साथ आते हैं। अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जो दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करती है। प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को मनाए जाने वाले विश्व अल्ज़ाइमर दिवस का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, डिमेंशिया से जुड़े कलंक को चुनौती देना और इस लगातार बढ़ते मस्तिष्क विकार के बारे में बेहतर समझ को बढ़ावा देना है। इस वर्ष की थीम अल्जाइमर और अन्य प्रकार के डिमेंशिया के तेजी से बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए रिसर्च, केयरगिविंग (देखभाल) और सार्वजनिक स्वास्थ्य में वैश्विक सहयोग के महत्व पर जोर देती है।
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, जो विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों को प्रभावित करता है। यह धीरे-धीरे याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमताओं और आखिर में सबसे सरल कार्य करने की क्षमता को भी नष्ट कर देता है। जैसे-जैसे दुनिया भर में व्यक्ति का संभावित जीवन बढ़ता है, अल्ज़ाइमर एक बढ़ती हुई आम स्वास्थ्य चुनौती बन गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या 2050 तक लगभग तीन गुणी होकर 152 मिलियन हो जाने की उम्मीद है।
डॉ. कुणाल बहरानी, डायरेक्टर एवं एचओडी-न्यूरोलॉजी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद तथा न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों में कुशल प्रमुख न्यूरोलॉजिस्ट कहते हैं, “अल्जाइमर रोग केवल याददाश्त संबंधी समस्या नहीं है – यह एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट है जो परिवारों, देखभाल करने वालों और सारी कम्युनिटी को प्रभावित कर रहा है। हालांकि वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन शीघ्र डायग्नोसिस (निदान) और बीमारी को ठीक करने के लिए एक्शन लेना, तथा जीवनशैली में जरूरी बदलाव करके, मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार किया जा सकता है।”
विश्व अल्जाइमर दिवस एक बड़े जागरूकता माह का हिस्सा है जो अल्जाइमर के बारे में समझ बढ़ाने, सहानुभूतिपूर्ण देखभाल को बढ़ावा देने और चल रहे रिसर्च प्रयासों का समर्थन करने के लिए समर्पित है। पिछले दस वर्षों में, अल्जाइमर के डायग्नोसिस (निदान) और संभावित उपचार विकल्पों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन अभी और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
डॉ. कुणाल बहरानी एक न्यूरोलॉजिस्ट के नजरिए से इस रोग की वैज्ञानिक और भावनात्मक समझ को स्पष्ट करते हुए कहते हैं, “अल्जाइमर रोग हमारे समय के सबसे कठिन न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों में से एक है, जो न केवल निदान किए गए लोगों को प्रभावित करता है, बल्कि उनके परिवारों और देखभाल करने वालों को भी प्रभावित करता है। यह याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और व्यक्तित्व में कमी कर देता है, तथा धीरे-धीरे व्यक्ति की पहचान के महत्वपूर्ण अंश को ही नष्ट कर देता है। इसके बायोलॉजिकल आधार को समझने में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, प्रभावी उपचार और इलाज की खोज जारी है। सपोर्टिव केयर, कॉग्निटिव थेरेपी के साथ-साथ शीघ्र निदान, रोगियों के जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में हमारे सबसे प्रभावी उपकरण बने हुए हैं। यह बीमारी इस बात की स्पष्ट याद दिलाती है कि मानव मस्तिष्क वास्तव में कितना अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली तथा नाजुक है और अल्जाइमर के खिलाफ चल रही लड़ाई पर जोर देता है।”
असली प्रसंशा के हक़दार परिवार के सदस्य हैं। जबकि मरीज़ों को अल्ज़ाइमर के डायरेक्ट प्रभावों का सामना करना पड़ता है, देखभाल करने वाले – अक्सर परिवार के सदस्य – अपने प्रियजनों की देखभाल के भावनात्मक और शारीरिक कष्ट को झेलते हैं। एक व्यक्ति जिसने पिछले पांच वर्षों से अल्जाइमर से पीड़ित माता-पिता की देखभाल की है, बताता है: “यह प्रेम और बड़ा ही मुसीबत भरा सफ़र है। एक ओर, आप सर्वोत्तम संभव देखभाल प्रदान करना चाहते हैं, लेकिन दूसरी ओर, आप किसी ऐसे व्यक्ति को धीरे-धीरे खोते हुए देख रहे हैं जिसे आप जीवन भर से जानते हैं। इसलिए जागरूकता बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अधिक मदद, अधिक समझ और अधिक आशा की आवश्यकता है। “इस वर्ष के अभियान का उद्देश्य देखभालकर्ता सहायता नेटवर्क के महत्व तथा बोझ को कम करने में सामुदायिक संसाधनों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
विश्व अल्जाइमर दिवस 2024 का थीम है “डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें।” ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में 57 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं। अल्जाइमर का रोगियों और उनके परिवारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, समय रहते कदम उठाने, निदान और देखभाल अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव ला सकती है। जैसा कि हम विश्व अल्ज़ाइमर दिवस 2024 मना रहे हैं, यह डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर पर एक्शन लेने का समय है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अल्जाइमर रोग हमारे समय की सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बनकर उभरा है। विश्व स्तर पर हर पांच सेकेंड में अल्जाइमर का एक नया मामला सामने आता है। वर्तमान में, दुनिया भर में 40 मिलियन से अधिक लोग अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं, जिनमें से लगभग 60% मामले 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में होते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले दशक में यह संख्या तेजी से बढ़कर 80 मिलियन तक पहुंच सकती है।