सीता स्वयंवर लक्ष्मण के कलाकार की कला का सबसे अहम और परिक्षा का दृश्य होता है : हरीश चन्द्र आज़ाद

रामलीला के ज्यातर कलाकार दुकानदार व व्यवसाय करते हैं फिर भी काम से आकर आधी रात तक 45 दिनों तक अभ्यास करते हैं

फरीदाबाद : श्री धार्मिक लीला कमेटी के निर्देशक हरीश चन्द्र आज़ाद ने बताया कि आज रात सीता स्वंयवर का अभ्यास करवाया। उन्होंने कहा कि पूरी रामलीला में सीता स्वयंवर लक्ष्मण के किरदार की कला का सबसे अहम व मुश्किल दृश्य होता है क्योंकि इसी दृश्य में लक्ष्मण को सबसे पहले रावण के साथ सबसे जोशीले संवाद करने पड़ते हैं, उसके बाद राजा जनक के साथ बहुत ही क्रोधित संवाद बोलने पड़़ते है तथा दृश्य के अंत में परशुराम के साथ सबसे ज्यादा क्रोधित होना पड़ता है इस तरह एक ही दृश्य में तीन-तीन कलाकारों से जोश और क्रोध में संवाद बालेते हुए अपनी आवाज़ को सीन के अंत तक बनाये रखना किसी भी कलाकार के लिये आसान नहीं होता तथा यह दृश्य रामलीला में सबसे बड़ा दृश्य भी होता है। हमारी रामलीला में पिछले पाँच वर्षों से लगातार इस किरदार को राजू खरबंदा बखूबी निभाते आ रहे हैं तथा दर्शकों के चहीते कलाकरों में से एक है जिनके आते ही दर्शकों की तालियों से पंडाल गूंज ऊठता है।

निर्देशक हरीश आज़ाद ने बताया कि रावण के किरदार में तेजिन्द्र खरबंदा जोकि श्री धार्मिक लीला के सबसे मजबूत और दर्शकों के सबसे चेहते कलाकार हैं ने भी अपनी कला को निखारने के लिये पसीना बहाया, परशुराम का अभिनय कर रहे परवीन बत्तरा ने अपने क्रोधित संवादों का अभ्यास किया तो राजा जनक का रोल कर रहे रोहित खरबंदा ने अपनी काँपती व रूहानी आवाज़ का अभ्यास किया। निर्देशक ने बताया कि ज्यादातर कलाकार अपना व्यवसाय करते हैं इसलिये रात को अपनी दुकान व कार्यालय से आकर 45 दिनों तक आधी रात तक अभ्यास करते हैं। यही रामलीला का जोश व जूनून है जिसकी वजह से एम ब्लॉक की तीसरी पीढ़ी लगातार पिछले 45 वर्षों से रामलीला करती आ रही है।

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