गुरुग्राम बना कूड़ा ग्राम !
गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 2 दिसंबर। पिछले दो महीनों से लगातार चलाये जा रहे कूड़े कर्कट की समस्या के समाधान के लिए जागरूकता अभियान के बावजूद सरकारी अधिकारीयों ने अभी तक कोई भी स्थाई समाधान कूड़े कर्कट की समस्या के लिए नहीं निकला! नगर निगम के अधिकारीयों की इस लापरवाही के चलते गुरुग्राम की खांडसा की सब्जी मंडी में तो कूड़े कर्कट का बुरा हाल है! सब्जी मंडी का रोजाना सैंकड़ों क्विंटल की तादाद में कचरा होता है जिस में पॉलीथिन की थैलियों में भरा हुआ कचरा काफी होता है! इन थैलियों में भरे हुए कचरे को खाने के चक्कर में आवारा घूमती हुई गायें गंदगी व कचरे के साथ साथ इन पॉलीथिन की थैलियों को भी खा जाती हैं! इस प्रकार इन गंदगी के ढ़ेरों की वजह से गाय व अन्य पशु इस गंदगी को खा कर मरने की हालात में हो जाते हैं या उन्हें कोई खतरनाक किस्म की बीमारी लग जाती है! खांडसा की सब्जी मंडी के अलावा रेलवे स्टेशन के पास की सब्जी मंडी व सदर बाजार के पास की सब्जी मंडी में भी इसी प्रकार कूड़े कर्कट की हालात बहुत खराब है! पिछले पांच वर्षों में गुरुग्राम के विधायक,मेयर व पार्षदों ने कूड़े कर्कट की समस्या का स्थाई समाधान निकालने का कोई भी प्रयास नहीं किया!
एक बात बड़ी हैरानी की और है कि पिछले पांच वर्षों में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर स्वयं हर महीने लगातार आते रहे हैं और कई बार तो एक महीने में मुख्यमंत्री का दौरा दो या तीन बार भी हुआ है तथा गुरुग्राम की ग्रीवनेंस कमेटी के चेयरपर्सन स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हैं और हर महीने की ग्रीवनेंस कमेटी की बैठक में आते रहे हैं तो फिर पिछले पांच वर्षों में गुरुग्राम में कूड़े कर्कट की समस्या का कोई स्थाई समाधान क्यों नहीं निकला! यह एक बहुत ही गंभीर सवाल है! इस के पीछे यहाँ के भाजपा नेताओं की आपसी खींचतान व मुख्यमंत्री का राजनैतिक स्वार्थ काफी हद तक जिम्मेवार है! गुरुग्राम के विकास की सभी योजनाओं पर मुख्यमंत्री खट्टर खुद ही पूर्ण रूप से नियंत्रण रखे हुए थे तो फिर गुरुग्राम कूड़े का ग्राम कैसे बन गया! मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की स्वयं की ईच्छानुसार ही गुडग़ांव का नाम बदल कर गुरुग्राम रखा गया और हजारों करोड़ रूपये की सरकारी विभागों व निजी कंपनियों की स्टेशनरी व प्रचार सामग्री नाम बदलने के चक्कर में व्यर्थ में बर्बाद हुई व इतने ही रुपयों की स्टेशनरी व प्रचार सामग्री दोबारा छपवाई गई यानि कि गुडग़ांव का नाम बदलने बदलने में मुख्यमंत्री खट्टर ने गुडग़ांव का हजारों करोड़ रूपये का नुकसान कर दिया और विकास किया नहीं कुछ! उलटे ही गुरुग्राम को ईनाम में मिला कूड़ा ग्राम! गुरुग्राम के विकास की हर योजना केवल कागजों में ही घूमती रही!
ाजपा के मंत्री,विधायक,मेयर और पार्षद विकास के नाम पर जारी हो रहे फंड को अधिकारीयों की मिलीभगत से खुलेआम खाते रहे तथा राष्ट्र भक्ति व हिंदूवाद का राग अलापते रहे! इन्हीं कारणों के चलते सफाई एजेंसियों के ट्रेक्टरों की संख्या का घोटाला उजागर हुआ है! इस घोटाले के खुलने के बाद पता लगा है कि कूड़ा कर्कट उठाने के लिए ट्रेक्टर ट्राली जो लगाये गये थे वे केवल कागजों में ही घूमते रहे और बिल बनते रहे! ये है खट्टर सरकार का विकास बिन खर्ची पर्ची के! गुरुग्राम की जनता को तो अब पूर्णतया शक हो गया है कि स्वयं मुख्यमंत्री खट्टर ही गुरुग्राम के विकास की योजनाओं में फंड की हेराफेरी व कूड़े कर्कट के प्रबंधन की दुर्दशा के लिए जिम्मेवार है!
गुरुग्राम में फैले हुए प्रदूषण व कूड़े कर्कट की समस्या पर एक बड़ा आंदोलन व जागरूकता का पुनीत कार्य करने वाली महिला रुचिका सेठी से जब इस विषय में बात की गई तो उन्होंने कहा कि गुरुग्राम के प्रदूषण व गंदगी की समस्या को दूर करने के लिए किये जा रहे उन के जागरूकता अभियान में उन की सारी टीम ने भरपूर सहयोग दिया है! लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता आई है परंतु प्रशासनिक अधिकारीयों में सफाई करवाने के प्रति गंभीरता नहीं है! रुचिका सेठी का कहना है कि इस सारे अभियान के दौरान उन्हें यहां के राजनैतिक लोगों से पूरी तरह से निराशा हाथ लगी और यहां के नगर निगम के पार्षद भी राजनैतिक लाभ या हानि कीद्व सोच की वजह से कूड़ा कर्कट की समस्या का स्थाई समाधान नहीं कर रहे! रुचिका सेठी का कहना है कि वे अपनी टीम के सभी सदस्यों के साथ कदम से कदम मिला कर प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ती रहेंगी! उन्होंने आगे बताया कि वायु व जल प्रदूषण विशेष तौर पर छोटे बच्चों की सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक है! इस प्रदूषण को स्थाई रूप से समाप्त करने के लिए प्रशासनिक अधिकारीयों को गंभीरता से काम करना होगा तभी गुरुग्राम प्रदूषण मुक्त होगा!
इसी टीम के सदस्य व सेक्टर 58 स्थित आईरियो ग्रैंड आर्च सोसायटी के निवासी तरुण पुरी से जब बात हुई तो उन्होंने कहा कि इस सोसायटी के पास ही नगर निगम ने कूड़े कर्कट का डंपिंग स्थान बना रखा है और वहां पर जबरदस्त गंदगी फैली रहती है! कूड़ा कई कई दिन उठाया नहीं जाता! पूरी सोसायटी के आस पास प्रदूषण फैला रहता है! ऐसे हालात में इतनी महंगी सोसायटी में रहने वाले लोगों को जब कूड़े कर्कट की समस्या से रोजाना जूझना पड़ेगा तो फिर नगर निगम का फायदा क्या! उन्हें तो कूड़े कर्कट की समस्या का स्थाई समाधान चाहिए!
इसी प्रकार जब सेक्टर 52 स्थित आरडी सिटी निवासी सचिन कालरा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आरडी सिटी के गेट नंबर चार पर कूड़े कर्कट का जो डंपिंग स्थान बनाया हुआ है उसे यहां से हटा कर दूसरी जगह किया जाये क्यों कि इस डंपिंग स्थान पर से कूड़ा रोज नहीं उठाया जाता जिस वजह से यहां गंदगी का माहौल बना रहता है! आगे उन्होंने बताया कि कूड़े कर्कट की समस्या का स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए और वे इस पुनीत कार्य के लिए रुचिका सेठी की टीम के साथ जुड़े हुए हैं!
सूरत नगर फेस वन के निवासी भरत शर्मा व रमनदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यहां पास में स्थित कई रबड़ मोल्डिंग की फैक्ट्रियों से निकला हुआ रबड़,प्लास्टिक व अन्य कई प्रकार का जहरीला इंडस्ट्रियल वेस्ट जलाया जाता है जिस वजह से इस कालोनी के हजारों घरों के निवासियों को सांस लेना दूभर हो जाता है! नगर निगम क एस.आई. हरीश शर्मा ने यहां पर आकर कई बार इस जलते हुए वेस्ट के स्थान को देखा है व दो फैक्ट्रियों को इंडस्ट्रियल वेस्ट बाहर खुले में डालने के जुर्म में जुर्माना भी लगाया है! नगर निगम के अधिकारी के दौरे के बाद सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि सूरत नगर फेस वन के इस इलाके के पास ही लैंड (रांगा) को मैल्ट कर के सिल्ली बनाने की एक फैक्ट्री यहां पर है जो कि गैर क़ानूनी है क्यों कि लैंड को मैल्ट करते वक्त सबसे जहरीला धुंआ निकलता है जिससे गंभीर से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं! गुरुग्राम की जनता चाहती है कि कूड़ा कर्कट की समस्या का स्थाई समाधान किया जाये ताकि गुरुग्राम से बने कूड़ा ग्राम की स्थिति सुधर सके!