जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के कारण गरीब छात्रों का भविष्य अंधकार में

नई दिल्ली (मदन लाहौरिया) 14 नवंबर। नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में नये नियमों के तहत हॉस्टल फीस बढ़ोतरी के विरोध में किये जा रहे छात्रों के प्रदर्शन में जेएनयू के छात्रों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ कई विद्यार्थी संगठन जेएनयू के छात्रों के समर्थन में आ गए हैं! जेएनयू के छात्रों की ओर से पिछले 15 दिनों से हॉस्टल नियमों व फीस बढ़ोतरी का विरोध किया जा रहा है! छात्रों का कहना है कि जिस तरह से फीस बढ़ोतरी की गई है उससे वंचित एवं गरीब वर्ग के छात्रों के लिए शिक्षा ग्रहण करना मुश्किल हो जायेगा! छात्रों की मांग है कि दस गुणा हॉस्टल फीस बढ़ोतरी व सर्विस चार्ज को वापिस लिया जाये व ड्रेस कोड जबरदस्ती ना थोपा जाये तथा कुलपति से इस्तीफा ले लिया जाये! वर्तमान केंद्रीय सरकार की सीधे तौर पर एक गहरी साजिश है कि जेएनयू को गरीब व प्रतिभावान छात्रों का विश्वविद्यालय होने की बजाय अमीरों व उद्योगपतियों का विश्वविद्यालय बनाया जाये या गरीब छात्रों पर आर्थिक दंड इतना लगा दिया जाये कि वे जेएनयू छोड़ कर चले जाएं और सरकार फिर जेएनयू को बंद करने का फरमान जारी कर दे!
किसान नेता चंद्रभान काजला से जब इस विषय ने बात की गई तो उन्होंने कहा कि जेएनयू में जितने छात्र पढ़ते हैं उनमें से 41 प्रतिशत छात्र गरीब, मध्यम व किसान परिवारों से आते हैं! वे गरीब छात्र अपना जीवन स्तर सुधारने के लिये व बढिय़ा शिक्षा पाने के लिए ही जेएनयू में दाखिला लेते हैं! आगे चंद्रभान काजला ने बताया कि अभी तक जेएनयू में छात्रों को बिजली पानी का चार्ज नहीं लगता था! खाना महंगा नहीं था! कालेज की फीस ज्यादा नहीं थी! मेस का चार्ज एक हजार रूपये से सीधे 5 हजार कर दिया गया! हॉस्टल का किराया दस गुणा बढ़ा दिया गया व कालेज की फीस लाखों में कर दी गई! एक नोटिफिकेशन जारी किया गया कि फीस भरने में देरी हुई तो कालेज से निकाल दिया जाएगा! उन्होंने आगे बताया कि सरकार की मंशा है कि गरीब छात्रों को जेएनयू में पढऩे से किसी तरह रोका जाये और गरीब छात्रों पर आर्थिक दंड लगाकर जेएनयू में अमीर घरों के छात्रों को प्रवेश देने का रास्ता खोल दिया जाये!
दूसरी तरफ जब मजदूर नेता राजेंद्र सरोहा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जेएनयू में पढ़ रहे गरीब छात्रों की फीस व अन्य सभी प्रकार के शुल्क बढ़ा कर केंद्र सरकार ने गरीब लोगों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने का रास्ता बंद कर दिया! राजेंद्र सरोहा ने आगे बताया कि छात्र आंदोलन के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने बढ़ी हुई फीस वापिस लेने का एक नौटंकी भरा प्रस्ताव आंशिक रोल बैक का देकर छात्रों से धोखा करने की साजिश की है व इस प्रस्ताव को छात्रों ने सर्वसम्मति से अस्वीकार कर दिया! छात्रों का आरोप है कि इस प्रस्ताव के लिए जो बैठक बुलाई गई उस में छात्रों का प्रतिनिधित्व नहीं रखा गया! राजेंद्र सरोहा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस प्रस्ताव का निर्णय लेने की प्रक्रिया से छात्रों को पूरी तरह से अलग रखा गया! केंद्र सरकार की इस धोखाधड़ी से छात्रों का शैक्षणिक जीवन प्रभावित हो सकता है! छात्रों ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा! छात्र समुदाय द्वारा कोई भी आंशिक नौटंकी स्वीकार्य नहीं है!