दिव्यांगों को सरकारी नौकरी की सुविधा दी जाये
नई दिल्ली (मदन लाहौरिया) 2 दिसंबर। दिव्यांगों के प्रति मोदी सरकार का नजरिया दिन प्रतिदिन गलत होता जा रहा है! मोदी सरकार जब वर्ष 2014 में सत्ता में आई तो मोदी सरकार ड्रामा ने ड्रामा करते हुए विकलांगों का नाम बदल कर दिव्यांग किया और झूठा राजनैतिक प्रपंच रचते हुए ये कहा कि विकलांग से नाम बदल कर सरकार ने दिव्यांग इस लिए किया हैं कि विकलांग व्यक्ति देवता स्वरूप होता है और पूजनीय होता है तथा विकलांग शब्द से हीनभावना होती है! इस ड्रामेबाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अब ये पूछा जाये कि दिल्ली के मंडी हॉउस के पास धरने पर बैठे सैंकड़ों दिव्यांग व्यक्तियों की सरकारी नौकरियों की मांग की समस्या का समाधान अभी तक क्यों नहीं किया!
राष्ट्रीय विकलांग संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में आये हुए देश के कोने कोने से सैंकड़ों विकलांग भाईयों की मांग है कि रेलवे में उन्हें सरकारी नौकरी दी जाये ताकि वे अपना गुजर बसर ढंग से कर सके! ये सभी विकलांग लोग गरीब व मध्यम वर्ग से हैं और इन को जीवन गुजारने के लिए सरकारी नौकरी का सहारा अवश्य चाहिए! इन विकलांग भाईयों ने अपने संघर्ष मोर्चा का नाम बदल कर दिव्यांग मोर्चा नहीं किया! यह इस बात को दर्शाता है कि मोदी सरकार केवल नाम बदलने में विश्वास रखती है किसी का भला और कल्याण करने में विश्वास नहीं रखती! मोदी सरकार केवल राजनैतिक लाभ लेने के लिए ही नाम बदलती है! जनता में इस बारे में बड़ी भारी चर्चा है कि मोदी सरकार को शर्म आनी चाहिये कि पहले तो जेएनयू के फीस वृद्धि के खिलाफ किये गये विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले विकलांग छात्रों को पुलिस के द्वारा जबरदस्त पीटा गया और अब दूसरी तरफ जब देश के कोने कोने से आये हुए विकलांग व्यक्ति रेलवे में सरकारी नौकरी देने की अपनी मांग को ले कर कई दिनों से नई दिल्ली के मंडी हॉउस पर धरना दिए हुए है तो अब मोदी सरकार उन विकलांग व्यक्तियों की मांग पर आँखें मूंद कर बैठी है! मोदी सरकार क्या केवल नाम बदलने की ही राजनीति करती है! विकलांग से दिव्यांग नाम बदला मोदी सरकार ने और दिव्यांगों को ही दिल्ली पुलिस से जबरदस्त पिटवा दिया! यह है मोदी सरकार का दिव्यांगों को प्रसाद!
इस विषय में जब किसान नेता चंद्रभान काजला से बात की गई तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए नरेंद्र मोदी को एक नंबर का नौटंकीबाज बताते हुए कहा कि इन विकलांग भाईयों की समस्या का समाधान मोदी सरकार इस लिए नहीं कर रही कि इन्होने अपने राष्ट्रीय विकलांग संघर्ष मोर्चा का नाम बदल कर दिव्यांग मोर्चा नहीं किया! इस बात का उदाहरण जेएनयू के संघर्ष में भी मिलता है! चंद्रभान काजला ने आगे बताया कि यदि जेएनयू के छात्र संगठन व अध्यापक संघ जेएनयू का नाम बदलने की मोदी सरकार की शर्त मान लेते तो जेएनयू के किसी भी छात्र पर राष्ट्रद्रोह के केस नहीं लगते और जेएनयू को बंद करने की साजिश रचते हुए फीस की बढ़ोतरी ना की जाती! उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का सीधा सीधा एक ही अर्थ है कि उनके मुताबिक हाँ भरे जाओ और अपना जीवन गुजारे जाओ! मोदी सरकार की बात जो आदमी नहीं मानता मोदी उसका काम कभी नहीं करता!
चंद्रभान काजला ने समाज के सभी लोगों से मार्मिक अपील करते हुए कहा कि विकलांग व्यक्ति देवस्वरूप होते हैं और इनकी जितनी सेवा की जाये उतनी ही कम है! भारत के सभी वेद शास्त्र विकलांग व्यक्तियों की सेवा व मदद करने को एक महान पुण्य का कार्य बताते हैं! मोदी सरकार वेद शास्त्रों के विपरीत जाते हुए विकलांग छात्रों की पुलिस से पिटाई करवाती है और विकलांग व्यक्तियों को रेलवे में सरकारी नौकरी भी नहीं देती! अब तो भगवान ही मोदी सरकार को सुधारने का काम करेगा! एक कहावत भी है कि खुदा की लाठी में बड़ा दम है! जब खुदा की लाठी पड़ती है तो आवाज भी नहीं होती!