नाम ऑफिसर कॉलोनी, पर हालात स्लम जैसे
फरीदाबाद : नगर निगम व ईकोग्रीन कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। जगह-जगह कूड़े के ढेर से लोगों का जीना दूभर हो गया है। चारों तरफ फैले कचरे की वजह से स्मार्ट सिटी की सूरत बदल गई है। बारिश के मौसम में कूड़े के ढेर से बीमारियां फैलने की आशंका बनी हुई है।
उपायुक्त निवास के पीछे प्रशासनिक आवासीय परिसर के सामने जगह-जगह कूड़े और कचरे के ढेर लगे हुए हैं। सड़कों पर कचरा बिखरा पड़ा है जिससे यहां के निवासियों का निकलना मुश्किल हो गया है। यहां रहने वाले अधिकारी भी बहुत परेशान हैं, पर प्रशासनिक सिस्टम का हिस्सा होने की वजह से वे आवाज नहीं उठाते, इसलिए आवासीय परिसर से सटे हुए अजरौंदा के लोग अक्सर शिकायत करते हैं, पर समाधान नहीं हो रहा है। अजरौंदा गांव की जनसंख्या 40 हजार है। गांव भले ही सेक्टरों के बीच में आ गया है, पर समस्याएं देख ऐसा लगता है जैसे स्लम क्षेत्र है। जबकि गांव की ही जमीन पर कई सेक्टर कटे हुए हैं और लघु सचिवालय भी बना है। यहां कूड़े के ढेर व जिला उपायुक्त निवास के पास गड्ढा मुसीबत बना हुआ है।
स्थानीय निवासी एवं युवा सेवा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे इस गांव व सेक्टर में रहने वाले लोग अक्सर सुविधाओं की मांग को लेकर अधिकारियों के पास जाते हैं। गांव की जमीन पर सेक्टर-12, 14, 15, 15ए, 16, 16ए और 17 विकसित किए जा चुके हैं। सेक्टरों में सुविधाएं तो काफी हैं, पर इन्हें बसाने वाला अजरौंदा गांव बदहाल है। गांव की बदहाल स्थिति को लेकर नगर निगम के उपमहापौर मनमोहन गर्ग भी निगमायुक्त को पत्र लिख चुके हैं।
– दिनेश कुमार सेक्टर-15ए में बूस्टर है। यहां से सेक्टर-15ए और अजरौंदा गांव को पेयजल सप्लाई की जाती है। जुलाई 2016 के बाद बूस्टर की सफाई न होने से गंदा पानी सप्लाई हो रहा है। पेयजल आपूर्ति भी 2 से 3 दिन बाद होती है।