सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण जेएनयू का अस्तित्व खतरे में !

गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 20 नवंबर। दिल्ली पुलिस के द्वारा जेएनयू की छात्राओं को बुरी तरह घसीट-घसीट कर पीटा गया व छात्राओं के कपड़े फाडऩे की कोशिश की गई और छात्राओं के साथ दुव्र्यवहार किया गया! यह एक बेहद शर्मनाक घटना है! छात्रा के साथ पिटाई व दुव्र्यवहार फोटो में साफ नजर आ रहा है! मोदी सरकार को शर्म से डूब मर जाना चाहिए! बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा मारने वाली सरकार बेटियों को ही दिल्ली पुलिस से जबरदस्त पिटवा रही है! जेएनयू के हजारों छात्रों ने छात्रावास शुल्क वृद्धि को पूरी तरह वापस लेने की मांग को लेकर जब संसद भवन की तरफ मार्च करने का प्रयास किया तो दिल्ली पुलिस ने छात्रों पर जबरदस्त लाठीचार्ज किया व सौ के लगभग छात्रों को गिरफ़्तार किया गया! लाठीचार्ज में घायल छात्रों ने लगी हुई अपनी चोटों की फोटो सोशल मिडिया पर शेयर की! छात्रों का कहना है कि जब तक बढ़ा शुल्क और आईएचए नियम वापस नहीं हो जाते तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा! मालूम रहे कि आंशिक रूप से वापस ली गई छात्रावास शुल्क वृद्धि छात्रों ने मंजूर नहीं की थी!

इस विषय में जब मजदूर नेता राजेंद्र सरोहा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्रों पर दिल्ली पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज करना एक बेहद शर्मनाक घटना है और छात्राओं को घसीट घसीट कर पीटा जाना मोदी सरकार की बर्बरता की निशानी है! हिटलर की तरह तानाशाही करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेएनयू का अस्तित्व ही मिटा देना चाहते हैं! राजेंद्र सरोहा ने आगे बताया कि मोदी सरकार एक गहरी साजिश रचते हुए जेएनयू को अपनी भगवा राजनीति का अड्डा बनाना चाहती है! समय-समय पर किसी न किसी मुद्वे पर जेएनयू पर सरकार के द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं और कुलपति महोदय भी मोदी सरकार की कठपुतली बन कर काम कर रहे हैं! अभी विवेकानंद की मूर्ति को खराब करने का मुद्वा एक साजिश के तहत उठाया गया! विवेकानंद की मूर्ति तो जेएनयू में जनवरी के महीने में लायी गई थी परंतु अभी तक लगाई नहीं गई! यह एक गंभीर लापरवाही का उदाहरण है! राजेंद्र सरोहा ने सीधे सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार जानबूझ कर जेएनयू के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है!

दूसरी ओर जब किसान नेता चंद्रभान काजला से बात की गई तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि फीस बढ़ाना एक गहरी साजिश है! फीस बढ़ा कर और कर्ज लेकर पढऩे का मॉडल सामने रख कर सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि विकास की उनकी परिभाषा में गावं कस्बों के लोग नहीं है! जिन किसान मजदूरों के टैक्स के पैसों से विश्वविधालय बना, उनके ही बच्चों को यदि बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा तो देश का युवा वर्ग चुप नहीं बैठेगा और युवा वर्ग इस साजिश के खिलाफ एक बड़ा तूफान खड़ा कर देगा! चंद्रभान काजला ने आगे कहा कि शिक्षा के जेएनयू मॉडल पर लगातार हमला इसलिए किया जा रहा है ताकि जिओ यूनिवर्सिटी के मॉडल को देश में स्थापित किया जा सके जहां सिर्फ अमीरों के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके! जब गरीबों के बच्चे जेएनयू में मेहनत करके पहुंचते हैं तो ये बात देश के करोड़पति सांसदों और सरकार के राग दरबारियों को अखरती है!

काजला ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि गरीब किसान मजदूरों के बच्चों और बेटियों को जेएनयू की शिक्षा से दूर रखने की साजिश रचते हुए सरकार फीस बढ़ाओ बेटी हटाओ का काम कर रही है! जेएनयू में फीस बढऩे से न जाने कितनी बेटियों के बेहतर कल के सपने चकनाचूर हो जायेंगे! आगे काजला ने आह्वान करते हुए कहा कि आज जेएनयू को बचाने का संघर्ष किसी एक विश्वविद्यालय को बचाने का संघर्ष नहीं है,बल्कि यह समानता और न्याय के उन मूल्यों को बचाने का संघर्ष है,जिस की बुनियाद पर हमारे लोकतंत्र की स्थापना की गई है! उन्होंने कहा कि याद रखिये, आज अगर खामोश रहे तो कल सन्नाटा छा जायेगा!

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