लालच, धोखे और डर का फायदा उठाते हैं साइबर अपराधी; ‘इंर्फोमेशन डिस्टेंसिंग’ फ्रॉड से बचाव के कारगर उपाय : दिल्ली पुलिस

नई दिल्ली, 23 सितंबर : दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने लोगों को आगाह किया कि वे साइबर अपराधियों द्वारा अपनाई जा रही लालच, धोखे और डर की रणनीतियों का शिकार न हों। उन्होंने यह भी कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करते समय लोगों को ‘सूचना दूरी’ यानी ‘इंर्फोमेशन डिस्टेंसिंग’ (Information Distancing) अपनानी चाहिए, ताकि किसी भी धोखाधड़ी से बचा जा सके।
दिल्ली पुलिस और बजाज फाइनेंस लिमिटेड (BFL) द्वारा टेक्निया इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, रोहिणी में संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रव्यापी फ्रॉड जागरूकता अभियान ‘नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड’ के दौरान, दिल्ली पुलिस के डीसीपी (क्राइम और रेलवे) के.पी.एस. मल्होत्रा ने कहा कि “आज साइबर अपराधी मुख्य रूप से तीन मानवीय कमजोरियों का शोषण करते हैं— लालच, धोखा और डर। जब लोग अवास्तविक रिटर्न का वादा करने वाले ऑफर्स पर भरोसा करते हैं तो वे लालच के जाल में फंस जाते हैं। जब वे किसी बैंक अधिकारी, बीमा एजेंट या पुलिस अधिकारी के रूप में पेश आए व्यक्ति पर विश्वास करते हैं, तो वे धोखे का शिकार होते हैं। और जब अपराधी खुद को प्राधिकरण बताकर घबराहट फैलाते हैं, तो डर के कारण लोग संवेदनशील जानकारी साझा कर देते हैं। यदि हम सतर्क रहें और इन तीनों बातों पर नियंत्रण रखें, तो अधिकांश साइबर अपराधों से बचा जा सकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि—“कई लोग रोज़ाना व्हाट्सएप पर गुड मॉर्निंग/गुड नाइट इमेजेज़ फॉरवर्ड करते हैं। इनसे भी बैंकिंग डिटेल्स चोरी हो सकती हैं। इसलिए ऐसे इमेजेज़ को डाउनलोड करने से बचना चाहिए।”
स्पेशल सेल के एसीपी एच.एस. रंधावा ने कहा कि “आज साइबर अपराधी लोगों को फंसाने के लिए नित नए तरीके अपना रहे हैं और समय की मांग है कि हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सूचना दूरी यानी इंर्फोमेशन डिस्टेंसिंग अपनाएं, ठीक वैसे ही जैसे कोविड-19 के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग अपनाई गई थी। लोगों को निजी और प्रोफेशनल काम के लिए अलग-अलग ईमेल इस्तेमाल करनी चाहिए और सोशल मीडिया अकाउंट्स के लिए अलग ईमेल बनानी चाहिए। जागरूकता और कुछ सरल सावधानियों जैसे मजबूत पासवर्ड, नियमित पासवर्ड बदलना, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और किसी भी लिंक/मैसेज पर क्लिक करने से पहले उसकी जांच करना—इनसे हम साइबर अपराधियों को मात दे सकते हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि साइबर अपराध की शिकायत www.cybercrime.gov.in पर दर्ज की जा सकती है और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए हेल्पलाइन 1930 उपलब्ध है। खासकर महिलाएँ इस पोर्टल पर गुमनाम रूप से शिकायत दर्ज करा सकती हैं। भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) बजाज फाइनेंस लिमिटेड ने इस अभियान को आयोजित किया, जिसका उद्देश्य डिजिटल उपयोगकर्ताओं को विभिन्न खतरों और सुरक्षित वित्तीय लेनदेन के तरीकों के बारे में जागरूक करना है।
दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त विशेष पुलिस आयुक्त सुनील गर्ग ने कहा कि “आज अपराध की प्रकृति बदल गई है। अपराधी बिना शारीरिक रूप से उपस्थित हुए किसी से भी पैसे ठग सकते हैं। इसीलिए डिजिटल फ्रॉड अवेयरनेस प्रोग्राम बेहद महत्वपूर्ण है। केवल युवा ही नहीं, बल्कि बुजुर्ग भी अब साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं। यह पहल, बजाज फाइनेंस और टेक्निया इंस्टिट्यूट के सहयोग से, छात्रों को न केवल डिजिटल अपराधों की जानकारी देगी बल्कि उनसे बचाव के व्यावहारिक उपाय भी सिखाएगी। जागरूकता ही सबसे पहला और मजबूत कदम है।”
यह राष्ट्रव्यापी अभियान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 2024 की फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट गाइडलाइंस के अनुरूप है, जिसमें शुरुआती पहचान, कर्मचारियों की जवाबदेही और जनभागीदारी पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर बजाज फाइनेंस के प्रवक्ता ने कहा कि “अपने ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम समय-समय पर ग्राहकों को सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। यदि लोग बुनियादी सुरक्षा आदतें अपनाएं, तो अधिकतर फ्रॉड से बचा जा सकता है।”
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथियों में सुश्री संध्या बिंदल (वाइस चेयरपर्सन, टेक्निया ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट्स), डॉ अजय राठौर (निदेशक, टेक्निया इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज), और डॉ एम.एन. झा (डीन, अकादमिक्स), शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली पुलिस के एसीपी (सेवानिवृत्त) के.एस.एन. सुबुधी ने किया। इस अभियान में लोगों को व्यक्तिगत और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं—जैसे OTP और PIN साझा न करना, संदिग्ध ईमेल, SMS, लिंक या QR कोड पर क्लिक न करना, और अनजान स्रोत से ऐप डाउनलोड न करना। ‘नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड’ कार्यक्रम में इंटरैक्टिव वर्कशॉप, डिजिटल अवेयरनेस ड्राइव्स और सामुदायिक आउटरीच प्रोग्राम की श्रृंखला शामिल है, जो प्रमुख शहरों और कस्बों में आयोजित की जा रही हैं।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आम वित्तीय धोखाधड़ी के तरीकों पर नागरिकों का ध्यान आकर्षित करना है, जिनमें फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स, व्हाट्सएप ग्रुप्स और वेबसाइट्स शामिल हैं, जो वित्तीय कंपनियों का नाम लेकर झूठा दावा करते हैं और उनके कर्मचारियों का नकल करके लोगों को ठगते हैं।



