टीवी, मोबाइल, जोमैटो, लिव इन से प्रभावित भारतीय परिवार
विदेशी ताकतों ने भारतीय परिवारों को नष्ट करने का कुचक्र चलाया: रविंद्र जोशी

- कुटुंब प्रबोधन सर्व समाज के लिए एक स्वीकार्य पहल
- परिवार के साथ चलने का प्रयास करना होगा
- संघ द्वारा 2008 में शुरू किए गया कुटुंब प्रबोधन
- रील नहीं रियल के लिए मोबाइल उपवास रखें
फरीदाबाद, 22 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्प ”कुटुंब प्रबोधन” कार्यक्रम में अखिल भारतीय संयोजक रविंद्र जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विदेशी ताकतें भारतीय परिवारों को नष्ट करने का कुचक्र चलाए हुए हैं। हमें इससे सावधान रहने की आवश्यकता है। वर्तमान में टी वी धारावाहिक, मोबाइल का अधिक प्रयोग, जोमैटो से रसोई और लिव इन जैसी प्रवृत्तियों ने भारतीय परिवारों पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है। संघ द्वारा 2008 में शुरू किए गए कुटुंब प्रबोधन से ही सर्व समाज एवं भारतीय परिवारों का भला हो सकता है।
सेक्टर-15 स्थित गीता मंदिर प्रांगण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा ”कुटुंब प्रबोधन” कार्यक्रम में अखिल भारतीय संयोजक रविंद्र जोशी ने फरीदाबाद विभाग के 100 से अधिक परिवार जनों के समूह को अपने उद्बोधन में बताया कि विदेशी ताकतें भारतीय परिवारों को नष्ट करने का कुचक्र चलाए हुए हैं। उनकी नजर हमारी शिक्षा-संस्कृति के उपरांत भारतीय परिवारों को नष्ट करने पर है। टी वी धारावाहिक में विकृत विचार-व्यवहार वाले परिवारों के किस्से कहानी से, लिव इन जैसी कुप्रवृति से हमारे परिवार टूट रहे हैं। ऑनलाइन खाना मंगवाने वाले जोमेटो के चलन से हमारी रसोई खतरे में है आज घर पर खाना बनाने के बजाय ऑनलाइन खाना मंगवाने का चलन बढ़ गया है। मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग, रील देखने की आदत ये सब हमारे भारतीय परिवारों को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। हमे रील नहीं रीयल्टी को समझना होगा और इसके लिए मोबाइल उपवास रखना होगा। घर में मोबाइल पार्किंग बॉक्स बनाए ताकि कुछ समय के लिए अपने अपने मोबाइल को उसमें रखकर उससे दूर रहने की आदत डालनी होगी।
श्री जोशी ने कहा कि एकल परिवार की संस्कृति के चलते संयुक्त परिवार तो समाज से गायब हो गए। संयुक्त परिवार में रहना मुश्किल है असंभव नहीं। हम एक साथ नहीं रह सकते लेकिन परिवार के साथ एक साथ होकर चल तो सकते हैं। इसके लिए उन्होंने छह भ जैसे भजन, भोजन, भाषा, भूषा, भ्रमण, भवन और छह प जैसे प्रार्थना, प्राणायाम, प्रतिभागिता, प्रेरक प्रसंग, परम्पराएं और प्रसाद के माध्यम से अपने परिवार को भक्तिधाम बनाए। महीने एवं सप्ताह में जब भी समय मिले एक साथ भोजन करें। योग करें, भजन करें। बच्चों के जन्मदिन, शादी की वर्षगांठ, अन्य त्यौहार अपने परिवारजनों के साथ मिलकर भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए मिलजुलकर बनाएं। घर में तैयार मिष्ठान से, घरेलू व्यंजन बनाकर मिलजुल कर खाएं और खिलाएं।
इस अवसर पर उत्तरक्षेत्र संपर्क प्रमुख श्रीकृष्ण सिंघल, डॉ. सुनील कुमार गर्ग, डॉ. अरविंद सूद, अरुण वालिया, मुकेश मंगला, सुरेश सैनी, रोहित सिंगला एवं काफी संख्या में प्रबुद्धजन, वरिष्ठ नागरिकगण एवं 100 से अधिक परिवार के सैंकड़ो सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम समापन पर सभी ने अल्पाहार लिया।