गूति रामलीला में हुआ राम-केवट संवाद का मंचन
फरीदाबाद, 30 सितम्बर। शहर के एनएच-2 में चल रही जागृति रामलीला कमेटी की रामलीला में रविवार रात्रि को श्री राम-केवट संवाद और सुमंत विलाप की लीला का मंचन हुआ। इसे उपस्थित जनसमूह द्वारा खूब सराहा गया। कमेटी के पदाधिकारियों ने इस मौके पर अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर लीला मंचन के प्रथम दृश्य में राम, लक्ष्मण और सीता की श्रंगवेरपुर में भीलों के राजा निषादराज से भेंट होती है। निषाद अपनी भील बस्ती में उनके दर्शन पाकर खुद को धन्य मानता है और प्रभु का भावपूर्वक स्वागत सत्कार करता है। कुछ समय श्रंगवेरपुर प्रवास करने के बाद राम, लक्ष्मण और सीता आगे वन पथ पर प्रस्थान करते हैं।
अगले दृश्य में गंगा तट पर पहुंचे राम अपने साथ आये सुमंत को रथ सहित अयोध्या वापिस लौट जाने को कहते हैं। गंगा के घाट पर नदी पार जाने के लिये राम अपने भक्त केवट से नाव मांगते हैं, लेकिन केवट इसके लिए तैयार नहीं होते। केवट अपना संशय प्रकट करते हैं कि कहीं आपकी चरणरज का स्पर्श पाकर मेरी नाव भी नारी ना बन जाये जिस तरह पत्थर की शिला अहिल्या नारी बन गयी थी। इसलिये नाव में बैठाने से पहले केवट बड़े भाव से राम, लक्ष्मण और सीता के चरण धुलाते हैं। तब भक्त वत्सल भगवान राम अपने हाथ केवट के सिर पर रखकर उन्हें आशीष देते हैं। गंगा पार उतरने के बाद राम जब केवट को उसकी मजदूरी देने की चेष्टा करते हैं तो केवट मजदूरी लेने से मना कर देते हैं और कहते हैं कि हम एक ही जाति के हैं। मल्लाह कभी मल्लाहों से मजदूरी नहीं लेते।
वह कहते हैं कि आज आप मेरे घाट पर आये तो मैंने आपको पार उतारा है और जब मैं आपके घाट आऊं तो आप मुझे भवसागर से पार लगा देना। भक्त केवट के यह विचार सुनकर राम हर्षित हुये और केवट को आशीर्वाद देकर आगे बढ़ते हैं। राम-केवट संवाद को सुनकर दर्शक भाव-विभोर हो गये। वह क्रमश: मुनि भरद्वाज और वाल्मीकि के आश्रम में कुछ समय बिताते हैं। ऋषियों के बताये मार्ग पर जाकर भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता चित्रकूट प्रवास करते हैं। कमेटी के प्रधान योगेश भाटिया ने बताया कि अगले दृश्य में दुखी मन से करुण विलाप करते हुये सुमंत अयोध्या की ओर वापिस लौट रहे हैं और रास्तेभर दुखित मन से यह सोच रहे हैं कि वह अयोध्या जाकर क्या जबाब देंगे। मन में अपार क्षोभ लिये सुमंत एक जगह रथ रोककर हृदय विदीर्ण करने वाला करुण विलाप करते हैं जिसे सुनकर दर्शकों की आंखें नम हो गयीं।