चिन्मयानंद पहुंचे जेल

शाहजहांपुर (उप्र), 21 सितंबर ! कानून की छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद प्रकरण में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शुक्रवार सुबह स्वामी को उनके आश्रम से गिरफ्तार कर लिया जबकि उनसे रंगदारी की मांग करने के सिलसिले में तीन अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है। एसआईटी ने चिन्मयानंद को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष पेश किया और अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। चिन्मयानंद ने जिला कारागार में सामान्य बंदियों की तरह दोपहर में दाल, सब्जी और रोटी खाई। सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें सुरक्षित बैरक में रखा गया है।

उधर, पीडि़ता ने संवाददाताओं से कहा कि बलात्कारी को मर्सिडीज में बैठाकर जेल भेजा गया है। ‘हमें खुशी नहीं है और मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब क्या हो रहा है।’ पीड़िता ने कहा, ‘मेरे साथ बलात्कार हुआ है । ऐसे में जिस दिन मैं विशेष जांच दल (एसआईटी) के पास बयान देने गई थी, उसी दिन मैंने कहा था कि मेरे साथ स्वामी चिन्मयानंद ने बलात्कार किया है फिर धारा-376 क्यों नहीं लगाई गई । यह केवल फॉर्मेलिटी (औपचारिकता) अदा की गई है। जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ, उसे न्याय नहीं दिया जा रहा है बल्कि स्वामी चिन्मयानंद को मर्सिडीज में बैठा कर जेल भेजा जा रहा है।’ 

चिन्मयानंद के वकील ने हालांकि स्वामी के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के अस्पताल में भेजने का निवेदन किया।

एसआईटी ने स्वामी को मुमुक्षु आश्रम स्थित दिव्य धाम से सुबह आठ बजकर 50 मिनट पर गिरफ्तार किया। इस दौरान एसआईटी के साथ भारी संख्या में स्थानीय पुलिस बल मौजूद रहा।

उत्तर प्रदेश के पुलिस ने कहा, ‘चिन्मयानंद को सुबह उनके आश्रम से एसआईटी ने गिरफ्तार किया है। एसआईटी ने उनका मेडिकल परीक्षण कराया। बाद में उन्हें अदालत ले जाया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया । उनके साथ ही तीन अन्य लोगों को चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है । स्वामी को बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। तीन अन्य युवकों को भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है।’ 

डीजीपी ने चिन्मयानंद को बलात्कार के मामले में गिरफ्तार करने की बात कही है। दुष्कर्म की धारा (376) के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।

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