सफाई कर्मचारी आयोग हुआ नाकारा !

गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 30 नवंबर। हरियाणा भाजपा की पिछली सरकार में बनाये गए सफाई कर्मचारी आयोग का तो कहीं पर अता-पता ही नहीं! पूरे प्रदेश भर में सफाई कर्मचारियों की समस्याएं बड़ी भारी हैं और इन सफाई कर्मचारियों की समस्या का सरकार कोई भी समाधान नहीं निकाल रही! सफाई कर्मचारी आयोग बनाया तो इसलिए गया था कि सफाई कर्मचारियों की अनेकों प्रकार की समस्याओं को सुलझा कर सफाई व्यवस्था को सुचारु रूप दिया जा सके! परंतु हरियाणा सरकार ने इस सफाई कर्मचारी आयोग को भी कूड़े कर्कट की राजनीति के चक्रव्यूह में फंसा कर नाकारा कर दिया! सफाई की व्यवस्था प्राइवेट एजेंसियों को दे कर तो सफाई कर्मचारी आयोग का अस्तित्व ही समाप्त करने की साजिश रची जा रही है!
जनता को दिखाने के लिए एवं राजनैतिक लाभ उठाने के लिए ही मात्र सफाई कर्मचारी आयोग बनाया गया और सफेद हाथी के रूप में इस आयोग के खर्चे पालकर भाजपा सरकार ने अपने नेताओं को पोस्ट देकर एडजस्ट करने की साजिश रची! अभी तक इस सफाई कर्मचारी आयोग ने हरियाणा प्रदेश के किसी भी सफाई कर्मचारी का भला नहीं किया! इस बात से तो लगता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सफाई कर्मचारियों को दंडित करने के लिए ही यह सफाई कर्मचारी आयोग बनाया क्यों कि इस आयोग के माध्यम से सफाई कर्मचारियों पर झूठे आरोप लगवा कर व सरकारी नौकरी से हटवा कर ही तो प्राइवेट सफाई एजेंसियों के कर्मचारी सफाई के लिए लगाए जा सकते हैं! सफाई व्यवस्था का निजीकरण करने के लिए ही यह सफाई कर्मचारी आयोग बनाया गया है! इन्हीं कारणों के चलते भिवानी से खबर है कि वहां पर सफाई कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं दिया गया! दूसरी तरफ हरियाणा के नगर पालिका कर्मचारी संघ ने मांग उठाई है कि निगम में निजी फर्म के माध्यम से लगाए गए सफाई, सीवर कर्मचारी, फायरमैन व ड्राइवरों को नियमित किया जाये! यह भी मांग उठाई गई कि इस के अलावा जो भी कर्मचारी निगम के रोल पर नहीं हैं उन्हें भी निगम के रोल पर लिया जाये! सूत्रों के हवाले से गुरुग्राम नगर निगम में जो आउटसोर्स कर्मचारी हैं उन्हें साजिशन हटाया जा सकता है क्यों कि गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था का पूर्णतया निजीकरण किया जा रहा है!
इस विषय में गुरुग्राम के मजदूर नेता राजेंद्र सरोहा से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि हरियाणा का सफाई कर्मचारी आयोग बिना दांत का है और पूर्णतया नाकारा है क्यों कि यह आयोग बनने के बाद सैंकड़ों सफाई कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है! राजेंद्र सरोहा ने आगे बताया कि सरकारी सफाई व्यवस्था को तहस नहस कर के प्राइवेट सफाई व्यवस्था लागू की जा रही है जो कि जनहित के खिलाफ है! सरकारी सफाई कर्मचारियों के पेट पर लात मार के निजी सफाई एजेंसियों के कर्मचारियों को सफाई व्यवस्था में लगाना सरासर जुल्म है! सरकारी सफाई कर्मचारियों के हितों पर हो रहे इस जुल्म को सफाई कर्मचारी आयोग आँखें मूँद कर देख रहा है! इन बातों से लगता है कि हरियाणा का सफाई कर्मचारी आयोग बिलकुल नाकारा हो चूका है!