ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सतत ऊर्जा समाधान पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन

फरीदाबाद, 16 जनवरी : जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के ऊर्जा अध्ययन केंद्र द्वारा ‘ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों के लिए कृषि एवं कृषि प्रसंस्करण अपशिष्ट से स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा’ विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान को आईआईटी दिल्ली के प्रो. एस.के. त्यागी ने संबोधित किया।

कुलपति प्रो. एस.के. तोमर की अध्यक्षता में आयोजित व्याख्यान सत्र का संचालन ऊर्जा अध्ययन केंद्र की अध्यक्ष प्रो. नीलम तुर्क द्वारा किया गया। सत्र की शुरुआत प्रो. तोमर के संबोधन से हुई, जिन्होंने स्थायी ऊर्जा में बदलाव की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रदूषण से होने वाले पर्यावरणीय और स्वास्थ्य प्रभावों का उल्लेख करते हुए पर्यावरण अनुकूल विकल्पों की आवश्यकता पर बल दिया।

अपने संबोधन में प्रो. एस.के. त्यागी ने ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने और इसके पर्यावरणीय प्रभावों का उल्लेख करते हुए ग्रामीण प्रदूषण और चारकोल जलाने जैसी प्रथाओं के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों पर चर्चा की। वैश्विक परिप्रेक्ष्य को साझा करते हुए प्रो. त्यागी ने प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन के एक अध्ययन का हवाला देते हुए चैंकाने वाले आँकड़े भी साझा किए, जोकि दर्शाता है कि किस तरत से दिल्ली में होने वाले लोग प्रदूषण के कारण औसतन 11.9 वर्ष की जीवन प्रत्याशा खो रहे हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली द्वारा डिजाइन किए गए कुकस्टोव जैसे नवाचारों को भी प्रस्तुत किया, जो न्यूनतम उत्सर्जन का उत्पादन करने के लिए बायोमास छर्रों का उपयोग करता है, जो पारंपरिक खाना पकाने के तरीकों का एक स्थायी विकल्प प्रदान करते है। चर्चा में बताया गया किया कि कैसे कृषि-अपशिष्ट को मूल्यवान ऊर्जा में बदला जा सकता है, जिससे प्रदूषण को कम करते हुए ग्रामीण परिवारों को लाभ हो सकता है।

इस अवसर पर डीन (इंस्टीट्यूशन्स) प्रो. मुनीश वशिष्ठ, डीन, अध्यक्ष और विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य उपस्थित थे। संकाय समन्वयक डॉ. राजेश अत्री, डॉ. साक्षी कालरा, डॉ. सोनम खेरा, डॉ. नीतू गुप्ता और डॉ. सचिन शोरन सत्र के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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