37वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला की बङी चौपाल की सांस्कृतिक संध्या को गुजराती गौरव फैशन शो के किया अपने नाम

कच्छी, कठियावङी, पटौला सहित गुजराती पहनावे कल्चर की मची धूम

सूरजकुंड (फरीदाबाद), 09 फरवरी। मुख्य चौपाल पर गुजराती गौरव फैशन शो के नाम रही। मेले की मुख्य चौपाल पर शुक्रवार को कच्छी, कठियावङी, पटौला सहित गुजराती पहनावे कल्चर की धूम मची। जहां फैशन शो के मन मोहक अन्दाज ने पर्यटकों की खूब वाहवाही लूटने का काम किया। खुश्बू गुजरात के थीम तले चौपाल की सांस्कृतिक संध्या गुजराती फैशन शो ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियों से अपने नाम करी।

उल्लेखनीय है कि गत 02 फरवरी से आगामी 18 फरवरी 2024 तक आयोजित किए जा रहे 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में देश के विभिन्न राज्य और करीब 50 देश भागीदार बन रहे हैं। थीम स्टेट गुजरात तथा पार्टनर देश तंजानिया और अष्ट लक्ष्मी प्रान्तों के द्वारा सास्कृतिक कार्यक्रमों के पार्टनर की छटा बिखेरी जा रही है। सास्कृतिक संध्या में गुजराती गौरव फैशन शो के रंगारंग कार्यक्रम में गुजराती सिल्क, कॉटन और सूती साडिय़ों की झलक मिली तो दर्शकों की किलकारियां बङी चौपाल पर गूंज उठी। वहीं कच्छ वेशभूषा, पाटन का पटौला, कठवाड क्षेत्र के शादी ब्याह में पुरूषों और महिलाओं के पहनावे ने फैशन शो के माध्यम से अलग ही छटा बिखेरी। सांस्कृतिक संध्या के समापन अवसर पर सूरजकुंड की वादियों में जय श्री राम जय श्री राम के उद्घोष के साथ मेला परिसर गूंज उठा।

यह रही पुरुषों की वेशभूषा
पारंपरिक रूप से पुरुष चोरनो पहनते हैं, जो एक प्रकार की सूती पेंट है और यह काफी हद तक धोती के समान दिखता है। चोरनो पुरुषों का सबसे आम पहनावा है। यह वस्त्र राज्य की गर्म जलवायु के अनुकूल है। शरीर के शीर्ष भाग में केडियू के साथ चोरनो पहना जाता है। यह फ्रॉक जैसे कपड़े हैं और राज्य में व्यापक रूप से पहने जाते हैं। केडियू आमतौर पर विभिन्न प्रकार के जीवंत रंगों में आता है और इसे विशेष अवसरों पर भी पहना जाता है। पुरुष भी कुर्ता और धोती पहनते हैं। इसके अलावा फेंटो नामक टोपी भी पुरुष धारण करते हैं। बड़ी चौपाल पर सूरजकुंड मेले में मॉडल्स ने इस वेशभूषा को पेश किया।

फैशन शो में दर्शाई महिलाओं की वेशभूषा
गुजरात की महिलाएं सबसे ज्यादा घाघरा या चनिया चोली पहनती हैं। हालांकि महिलाओं का यह परिधान अब भारत के अन्य हिस्सों में भी काफी लोकप्रिय है। यह पोशाक त्योहारों और अन्य अवसरों के दौरान पहनी जाती है। चानियो गुजरात की महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक और लोकप्रिय पहनावा है। यह पहनावा दिखने में काफी हद तक लहंगे से मिलता-जुलता है। जो चीज चानियो को विशिष्ट बनाती है, वह है इसके जीवंत रंग, और विशिष्ट जटिल धागे का काम। चुन्नी काफी हद तक दुपट्टों की तरह दिखती है और आमतौर पर इसका इस्तेमाल सिर ढकने के लिए किया जाता है। गुजरात की महिलाएं साड़ी को एक अलग अंदाज में पहनती है, जो देश के अन्य हिस्सों से अलग है। इन पारंपरिक परिधानों के अलावा, गुजरात के लोग विशेष समारोहों के लिए विशेष पोशाक भी पहनते हैं। गुजरात में रास, गरबा में महिलाएं घाघरा चोली पहनती हैं। मॉडल्स ने इस वेशभूषा को बड़ी चौपाल पर आयोजित रैंप वॉक के जरिए पेश किया।

गुजराती की शादियों में यह रहता है पहनावा
गुजरात में शादियों और उत्सव के दौरान पुरुष और महिलाओं का विशेष पहनावा होता है। राज्य में दुल्हनें आमतौर पर पनेतर साड़ी या घरचोला पहनती हैं। पनेतर साड़ी लाल बंधनी बॉर्डर के साथ सफेद रंग की होती है। चारकोल एक साड़ी है जो लाल रंग की होती है और इसमें चौकोर पैटर्न बुने जाते हैं। गुजरात के कच्छ इलाके में रहने वाले लोगों का पहनावा राज्य के अन्य हिस्सों से अलग होता है। यहां कि महिलाएं आभा नाम की एक विशिष्ट प्रकार की चोली पहनती हैं, जिसे कंजरी भी कहा जाता है। आभा में ब्लाउज का एक लंबा टुकड़ा होता है, जिसे दर्पण के काम और सोने या चांदी के धागे के काम से सजाया जाता है।

यह हैं गुजरात के पारंपरिक आभूषण
गुजरात में पुरुष और महिलाओं के पहनावे के साथ-साथ यहां पारंपरिक रूप से आभूषणों का इस्तेमाल भी किया जाता है। पुरुष और महिलाओं के आभूषण यहां सामान्य तौर पर अलग होते हैं। यहां के पुरुष आमतौर पर ज्यादा आभूषण नहीं पहनते, वे सोने की चेन और सोने की अंगूठी जरूर पहनते हैं। राज्य की महिलाओं के लिए पारंपरिक आभूषणों में अंगूठियां, नाक की पिन, हार, जंजीर शामिल हैं। विवाहित महिलाएं अपने विवाह के प्रतीक के रूप में मंगल सूत्र पहनती हैं। राज्य के गांवों की महिलाएं भी आदिवासी आभूषण पहनती हैं। इनके अलावा, राज्य की महिलाएं नथ के नाम से जानी जाने वाली छोटी बालियां भी धारण करती हैं।

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