गुरुग्राम में सफाई कर्मचारियों की रेगुलर भर्ती और सफाई के आधुनिक साधन ही होंगे कारगार !

गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 10 अक्टूबर। पिछले कई सालों से हरियाणा के साइबर सिटी गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था की बहुत बुरी हालात है! यहां की अर्बन प्लानिंग ठीक नहीं की गई! पानी निकासी की कोई भी सुचारु व्यवस्था नहीं की गई! बरसाती पानी को रोकने के लिए जलाशय नहीं बनाये गये! गुरुग्राम के पार्कों का भी रखरखाव ठीक नहीं है और रेनहार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये नहीं गये और जो थोड़े से लगाये है वे ढंग से काम नहीं कर रहे! गुरुग्राम कहने मात्र को तो साइबर सिटी है परंतु यहां पर सफाई के नाम पर नरक ही नरक है!

हरियाणा में गुरुग्राम में सबसे ज्यादा राजस्व आता है परंतु गुरुग्राम का दुर्भाग्य यह है कि यहां के नगर निगम के अधिकारी फंड का सदुपयोग नहीं कर पाते! यहां की जनता का कहना है कि गुडग़ांव का नाम बदल कर गुरुग्राम कर देने से विकास के कार्यों में कोई फर्क नहीं पड़ा बल्कि अब तो गुरुग्राम एक प्रदूषण और गंदगी की नगरी बनती जा रही है!

इस भारी समस्या पर जब अखिल भारतीय सफाई एवं कबाड़ी महासंघ के गुरुग्राम के संयोजक राजेंद्र सरोहा से बात की गई तो उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वास्तव में गुरुग्राम के नगर निगम अधिकारीयों का सफाई कर्मचारियों के साथ तालमेल सही नहीं है! नगर निगम अधिकारियों को अपनी कार्यप्रणाली बदलनी होगी! उन्हें कर्मचारियों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रह कर सफाई व्यवस्था की कमियों को दूर करना होगा! आगे राजेंद्र सरोहा ने बताया कि गुरुग्राम में सफाई व्यवस्था ठीक रखने व कूड़ा कर्कट उठाने का सही ढंग से इंतजाम करने के लिए कम से कम दस हजार सफाई कर्मचारियों की जरूरत है जब कि अभी नगर निगम गुरुग्राम में कुल लगभग 4700 सफाई कर्मचारी हैं जिनमें केवल 1700 सफाई कर्मचारी स्थाई है और लगभग 3000 सफाई कर्मचारी अस्थाई है!

सरोहा ने बताया कि पिछले काफी समय से इन अस्थाई सफाई कर्मचारियों को पक्का करने की मांग की जाती रही है परंतु नगर निगम प्रशासन जानबूझ कर इन कर्मचारियों को पक्का नहीं कर रहा और सफाई कर्मचारियों की नई भर्ती नहीं खोली जा रही क्यों कि नगर निगम के अधिकारीयों ने कई निजी कंपनियों से सांठगांठ करके गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था का निजीकरण करने की तरफ एक गहरी साजिश रची है! वर्तमान सफाई कर्मचारियों को झाड़ू भी काफी बार नगर निगम के द्वारा नहीं दिया जाता जिस वजह से सफाई कर्मचारियों को मजबूरी में झाड़ू अपने पैसों से खरीदना पड़ता है! गुरुग्राम शहर के जैकबपुरा मौहल्ले में कृष्ण मंदिर वाली गली में नटराज स्टूडियो के सामने खाली प्लाट पर लोगों को बड़ी मजबूरी में कूड़ा कर्कट इस लिए डालना पड़ता है कि इस मौहल्ले में पिछले काफी समय से हर घर से कूड़ा कर्कट लेने वाली गाड़ी नहीं आ रही! ऐसी अवस्था में लोग अपने घर का कूड़ा कहाँ पर डाले, यह एक बहुत बड़ी समस्या है!

नगर निगम की तरफ से आज एक सफाई ठेकेदार गोबिंदराम एक ट्राली सहित इस गली के इस प्लाट से कूड़ा उठाने के लिए आया और कूड़ा उठा कर ट्राली और खाली प्लाट का फोटो खिंचा! तो क्या यह एक ड्रामा है? खास सूत्रों से मालुम हुआ है कि जैकबपुरा के मौहल्ले में निजी ठेकेदारों ने अपने निजी व्यक्ति कूड़ा कर्कट लेने के लिए लगा रखे हैं और वे 60 रूपये प्रति महीना हर घर से लेते हैं व उस में से 30 रुपये निजी ठेकेदार लेता है! यह निगम के सफाई कर्मचारियों को बदनाम करने की एक गहरी साजिश है! राजेंद्र सरोहा ने आगे बताया कि एक ईको ग्रीन नाम की कंपनी को गुरुग्राम की सफाई व्यवस्था का ठेका सरकार ने दे रखा है! यह ईको ग्रीन कंपनी चीन की बताई जाती है और लोगों को शक है कि भारत के किसी बड़े उधोगपति ने सरकार से सेटिंग करके इस चीन की कंपनी को सफाई का ठेका दिलवाया गया है! अब सवाल यह भी उठता है कि क्या भारत में हमारे पास सफाई व्यवस्था के लिए कोई साधन नहीं है! शर्म आनी चाहिए ऐसे फैसले करने वालों को कि हमारे हरियाणा के सफाई कर्मचारियों को छोडक़र विदेशी कंपनी से हाथ मिलाया गया! ईको ग्रीन के कर्मचारी यदि कभी कभार कूड़ा उठाने आते हैं तो बहुत ही पुरानी मशीनरी का इस्तेमाल करते हैं!

जैकबपुरा में रहने वाले मुकेश गुप्ता का कहना है कि यहां पर सफाई व्यवस्था बिलकुल नहीं है! मौहल्ले में कई कई दिन तक सफाई नहीं की जाती! कूड़े कर्कट के ढ़ेर पड़े रहते हैं और ईको ग्रीन कोई भी गाड़ी कूड़ा कर्कट उठाने नहीं आती! न्होंने आगे बताया कि गुरुग्राम में सफाई व्यवस्था को सुचारु रूप से ठीक करने के लिए आधुनिक साधन स्वदेशी तकनीक के साथ अपनाने होंगे व सफाई कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी होगी!

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