पराली के नाम पर राजनीति बंद करें : चंद्रभान काजला
गुरुग्राम (मदन लाहौरिया) 9 नवंबर। आज पूरे हरियाणा प्रदेश में पराली के नाम पर सरकार के द्वारा बड़ी हायतौबा मचाई जा रही है! हरियाणा में इस वक्त प्रदूषण तो सबसे ज्यादा कूड़े कर्कट के जलाने व रबड़ प्लास्टिक का वेस्ट जलाने से हो रहा है! कूड़े कर्कट के प्रबंधन की कमजोरियों को छिपाने के लिए सरकार जानबूझ कर धान की पराली को जलाये जाने से निकलने वाले धुंए को प्रदूषण का कारण मानती है जब कि पराली से बहुत ज्यादा संख्या में कूड़े को जलाया जा रहा है! प्रदेश में पिछले तीन सालों में पराली जलाने के मामले घट कर लगभग आधे रह गए हैं! दूसरी तरफ इन तीन वर्षों में वायु प्रदूषण कई गुणा बढ़ा है! इससे स्पष्ट है कि वायु प्रदूषण के लिए पराली के अलावा और भी कई कारण जिम्मेवार है! विधानसभा सत्र के दौरान अभय चौटाला के द्वारा दिए गए भाषण के उस अंश पर भी विचार गंभीरता से होना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए पराली का जलाया जाना केवल पांच से सात फीसदी ही है या ज्यादा से ज्यादा दस से पंद्रह फीसदी हो सकता है! सो बाक़ी 85 से 90 प्रतिशत तो प्रदूषण के अन्य कारण है! कुल मिलाकर वायु प्रदूषण के लिए किसान उतने दोषी नहीं है, जितना उन्हें बदनाम किया जा रहा है!
पराली के जलाये जाने की घटनाओं के बारे में जब किसान नेता चंद्रभान काजला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार एक गहरी साजिश के तहत बेकसूर किसानों के खिलाफ पराली जलाये जाने के झूठे मामलों में एफआईआर दर्ज करा रही है! सरकार के पास पराली जलाये जाने के कोई भी पुख्ता सबूत नहीं हैं! चंद्रभान काजला ने तीखी प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि सरकार के पास पराली जलाये जाने की घटनाओं के कोई भी सबूत के तौर पर फोटो नहीं है! कुछ फोटो सोशल मिडिया पर वायरल किये जा रहे हैं जो कि सेटलाइट से लिए गए हैं और उन फोटो में धान की पराली कहीं पर भी नजर नहीं आ रही! ये फोटो फर्जी व झूठे हैं तथा ऐसी जगह के हैं जहां पर धान नहीं होता तो फिर पराली वहां पर कैसे जलाई जायेगी!
आगे उन्होंने कहा कि अभी तो पूरे प्रदेश में केवल 40 प्रतिशत ही धान की फसल कटी है और 60 प्रतिशत फसल तो अभी खड़ी है तो फिर धान की पराली का इतनी बड़ी तादात में धुआं कहाँ से हुआ! पराली के जलने से हुए धुंए की कहानी बगैर सबूतों के सरकार द्वारा मनगढ़ंत तौर पर बनाई गई है! किसान आजकल पराली जलाता नहीं क्यों कि उनकी पराली अब 3 हजार रूपये प्रति एकड़ बिक जाती है! गत्ता या कागज बनाने वाले खरीद कर ले जाते हैं! पराली को आजकल पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है! इसलिए किसान आजकल पराली को जलाता नहीं! हरियाणा में सरकार के द्वारा भोले भाले व बेकसूर किसानों पर पराली जलाये जाने के झूठे मामलों में लगभग 500 के करीब एफआईआर दर्ज की है जो कि किसानों के साथ सरासर जुल्म है! वायु प्रदूषण तो पूरे हरियाणा में कूड़े कर्कट को जलाने से हुआ है! एफआईआर तो सरकार को नगर निगम के अफीकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज करनी चाहिए क्यों कि प्रदेश भर में निगम अधिकारीयों की मिलीभगत से ही कूड़े कर्कट को जलाया जा रहा है! हरियाणा सरकार कूड़े कर्कट के प्रबंधन की कमजोरियों को छिपाने के लिए ही पराली पर राजनीति करने पर जुट गई जो कि किसानों के साथ अन्याय है!