कर व्यवस्था की कहानियों का ताना-बाना: पत्रकार एवं लेखक डॉ. शैलेंद्र कुमार द्वारा लिखित पुस्तक ‘द कॉब (वेब) टर्न्स ट्वेंटी’ का विमोचन टीआइओएल कांग्रेस में हुआ

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर : टीआइओएल फाउंडेशन द्वारा हाल ही में पत्रकार एवं लेखक डॉ. शैलेंद्र कुमार की पुस्तक ‘द कॉब (वेब) टर्न्स ट्वेंटी’ का विमोचन किया गया। यह पुस्तक ओक ब्रिज (Oak Bridge) द्वारा प्रकाशित की गई है। 10 विचारोत्तेजक अध्यायों वाली यह पुस्तक बीते वर्षों की वैश्विक कर व्यवस्था की घटनाओं को रोचक अंदाज में प्रस्तुत करती है, उनसे सीख प्रदान करती है और कर विशेषज्ञों एवं नीति निर्माताओं को करदाताओं का जीवन सरल बनाने के लिए “फूड फॉर थॉट” देती है।

पुस्तक के विमोचन अवसर पर एन. वेंकटारमण, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल, जिन्होंने इस पुस्तक की प्रस्तावना भी लिखी है, ने लेखक को बधाई देते हुए कहा, “जिस उद्देश्य को उन्होंने साधा है, वह हमें उनका नियमित और अभ्यस्त पाठक बनने के लिए प्रेरित करता है।”

एम. के. सिन्हा, सीईओ, जीएसटी नेटवर्क ने कहा, “कराधान एक नीरस और जटिल विषय माना जाता है, परंतु डॉ. शैलेंद्र इसे आम आदमी के जीवन की कहानियों से जोड़कर रोचक बना देते हैं। वह इतनी सहजता और हास्य के साथ लिखते हैं कि पढ़ने का मोह टालना मुश्किल हो जाता है। उनके पास वह बौद्धिक स्वतंत्रता और संपादकीय आज़ादी है, जिससे वे इस विषय के साथ न्याय कर पाते हैं। यह पुस्तक भारत में कर प्रणाली के विकास का इतिहास भी समेटे हुए है।”

श्रीमती रेनू नर्वेकर, मैनेजिंग डायरेक्टर, टैक्स – इंडिया एवं साउथ एशिया मार्केट्स, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने कहा, “साठ लेखों को सोच-समझकर दस अध्यायों में बाँटा गया है। जैसे-जैसे कराधान डिजिटल अर्थव्यवस्था, पारदर्शिता और वैश्विक सहयोग की नई चुनौतियों से जूझ रहा है, यह पुस्तक अतीत की गवाही और भविष्य के चिंतन का मार्गदर्शन दोनों के रूप में खड़ी है। यह लेखक के अनुशासन, अंतर्दृष्टि और कर जगत के दस्तावेज़ीकरण के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है।”

विख्यात अर्थशास्त्री शैलेश हरिभक्ती ने कहा, “यह पुस्तक डॉ. शैलेंद्र के जुनून का एक और प्रमाण है। इसने वैश्विक कराधान घटनाओं को इस तरह से प्रस्तुत किया है कि कोई भी पाठक पीछे नहीं छूटता। जब 16 ‘Intaxicating’ कहानियाँ सुनाई जाती हैं, तो उनसे कई सबक मिलते हैं।”

10 अध्यायों में विभाजित यह पुस्तक भारत और विश्व के वित्तीय सुधारों के ‘ज़िगज़ैग’ मार्ग को कहानी कहने के अंदाज में पेश करती है। इसमें 12 अत्यंत पठनीय कहानियाँ हैं और प्रत्येक अध्याय में एक “स्वर्ण सूत्र” (golden thread) निहित है जो उसके विषय की निरंतरता बनाए रखता है। ‘Binge-worthy Fiscal Tales’ जैसे अध्याय शीर्षक पाठकों से तुरंत जुड़ाव बनाते हैं। पुस्तक में ‘Robo Tax’, ‘Graduate Tax’, डिजिटल अर्थव्यवस्था पर कर का साया, काला धन, टैक्स हेवन, जीएसटी, ग्लोबल साउथ के लिए OECD के भेदभावपूर्ण समाधान, बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कर लगाने की राजनीति, भारतीय और अमेरिकी IRS की तुलना, तथा कर मुकदमों के दीर्घकालिक संकट जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई है।

डॉ. शैलेंद्र कुमार भारत के पहले ऑनलाइन कर, व्यापार एवं आर्थिक समाचार पोर्टल (टीआइओएल) के संस्थापक संपादक एवं सीईओ हैं। वे टीआइओएल नेशनल टैक्सेशन अवॉर्ड्स के ट्रस्टी और टीआइओएल नॉलेज फाउंडेशन के चेयरमैन भी हैं, जो वैश्विक आर्थिक और राजकोषीय विचार नेतृत्व को प्रोत्साहित करने का एक मंच है।

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